Chandigarh/Atulya Loktantra : पैरोल के मामलों को निपटाने में जेल सुपरिंटेंडेंट स्तर पर होने वाली देरी पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार और अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने दो टूक शब्दों में कहा कि अधिकारी अपनी जिम्मेदारी याद रखें वरना हमें याद दिलानी पड़ेगी। कोर्ट ने अब डीजीपी हरियाणा को पैरोल मामलों का तय समय में निपटारा सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं।
मामला यमुनानगर निवासी निर्मल सिंह की पैरोल याचिका से जुड़ा हुआ है। याची की ओर से उसकी वकील मोनिका तंवर ने बताया कि याची ने पैरोल के लिए 10 जून को आवेदन दिया था। इस आवेदन के बाद भी न तो इस पर कोई निर्णय लिया गया और न ही किसी प्रकार का संवाद जेल सुपरिंटेंडेंट द्वारा किया गया।
मामले का संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि इस प्रकार की याचिकाएं बड़ी संख्या में आ रही हैं जिनमें आवेदन पर निर्णय लेने के निर्देश जारी करने की अपील की गई है। हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकारियों द्वारा हरियाणा गुड कंडक्ट ऑफ प्रिजनर एक्ट 1988 व संशोधित एक्ट 2015 के तहत कैदी द्वारा किए आवेदन पर निर्णय तक नहीं लिया जा रहा है जो जेल सुपरिंटेंडेंट्स की लापरवाही दिखाता है।
उन्हें वह आदेश जारी करने पड़ रहे हैं जो असल में उनकी ड्यूटी का एक हिस्सा है। कोर्ट ने कहा कि अधिकारी यदि सही प्रकार से काम करें तो इस प्रकार की याचिकाओं में कमी आएगी, जिससे कोर्ट का कीमती समय भी बचेगा।
देरी का कारण भी आदेश में दर्ज करें
कोर्ट ने कहा कि यदि अधिकारी अपनी ड्यूटी भूल जाएंगे तो कोर्ट उन्हें याद दिलाने के लिए तैयार रहेगा। हाईकोर्ट ने डीजीपी को आदेश दिए हैं कि सरकार द्वारा जारी 30 जुलाई 2007 व 9 अक्तूबर 2014 को जारी दिशा निर्देशों के अनुरूप निर्धारित समय में पैरोल आवेदन पर निर्णय लेकर इसकी सूचना कैदी को दी जाए। यदि किसी मामले में देरी होती है तो देरी का कारण भी आदेश पर दर्ज किया जाए।
यह है मामला
निर्मल सिंह पर 21 जून 2013 को हत्या के मामले में एफआईआर दर्ज हुई थी और उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। याची ने इसके बाद अपने घर की मरम्मत के लिए 4 सप्ताह का पैरोल देने की अपील की थी और बताया था कि वह 4 वर्ष 8 माह की सजा काट चुका है। वह हार्डकोर क्रिमिनल नहीं है इसलिए उसे पैरोल दी जाए। इस पर फैसला नहीं लिया गया जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।