New Delhi/Atulya Loktantra : दुनिया के मानचित्र पर एक और देश नजर आने वाला है. करीब एक दशक से जारी हिंसा के खत्म होने की कगार पर खड़ा पापुआ न्यू गिनी का एक प्रांत बोगेनविल अब देश घोषित होने वाला है.
दरअसल, बोगेनविल में जनमत संग्रह कराया गया. यहां के निवासियों ने अपनी स्वाधीनता के लिए वोट डाले. इस जनमत संग्रह में इस द्वीप ने पापुआ न्यू गिनी से निकल कर एक आजाद देश बनने की और कदम बढ़ा दिए हैं.
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबकि वोट देने वाले 181,067 लोगों में से 176,928, यानि करीब 98 फीसदी ने आजादी के समर्थन में मत दिया. वहीं केवल 3,043 वोट पापुआ न्यू गिनी के साथ बने रहने के लिए दिए गए. एक हजार के करीब वोट निरस्त हो गए.
यह रेफरेंडम 20 साल से जारी उस शांति प्रक्रिया का हिस्सा है जो बोगेनविल और पापुआ न्यू गिनी के बीच चला खूनी गृह युद्ध 1998 में खत्म हो गया था, इस गृह युद्ध में 15,000 लोगों की जान चली गई थी.
बोगनविल प्रशांत महासागर का एक द्वीप है, जो अब तक पापुआ न्यू गिनी (पीएनजी) का हिस्सा था. 23 नवंबर से शुरू हुए मतदान का बुधवार को परिणाम आया है. अब यह दुनिया का सबसे नया देश बनने जा रहा है.
हालांकि अब यह रेफरेंडम पापुआ न्यू गिनी की संसद में पेश होगा. जानकारी के अनुसार इसका विरोध भी हो सकता है. लेकिन लोगों के मतदान का दबाव पापुआ न्यू गिनी की संसद पर जरूर रहेगा.
ऐसे पड़ा बोगनविले नाम:
अभी तक बोगनविले पापुआ न्यू गिनी का एक प्रांत था. फिर भी इसके लोग अपने आप को आजाद मानते थे. इसका नाम 18वीं शताब्दी के फ्रांसिसी खोजकर्ता के नाम पर रखा गया है.
वैसे तो बोगनविले की आजादी की घोषणा पीएनजी के 1975 में आजाद होने से पहले ही हुई थी लेकिन पीएनजी और ऑस्ट्रेलिया ने इसे कभी आजाद नहीं माना था.
1980 के दशक में बोगनविले के लड़ाकों और पापुआ न्यू गिनी के बीच खूनी संघर्ष चलता रहा. इसमें करीब 20 हजार लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद सरकार ने मतदान का वाद किया था. जो अब जाकर पूरा हुआ है.
प्राकृतिक संपदा से भरपूर:
बोगनविल में भरपूर प्राकृतिक संपदा पाई जाती है. यहां पाई जाने वाली सोने और तांबे की खदान से दशकों तक पापुआ न्यू गिनी बेहद समृद्ध रहा. यह द्वीप 9,318 किमी. के दायरे में फैला हुआ है.