नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जज यूयू ललित ने नागरिकों के अधिकारों के सम्मान करने और इसको लेकर लोगों को जागरुक करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि पुलिस थाने में किसी भी नागरिक को फ्री कानूनी सहायता दिए जाने की जानकारी डिस्प्ले बोर्ड पर लिखी होनी चाहिए.
जस्टिस ललित ने एक पुराने प्रकरण का जिक्र करते हुए कहा, ‘जब 1890 में बाल गंगाधर तिलक को कानूनी तौर पर अपना बचाव करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट की लाइब्रेरी के दरवाजे गोरी सरकार ने खोल दिए थे तो आज भी जनता के अधिकार का सम्मान करने के लिए बहुत कुछ करने की ज़रूरत है.’
सुप्रीम कोर्ट के जज और नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस यूयू ललित ने एक कार्यक्रम में आम जनता को उसके अधिकारों के प्रति जागरुक करते हुए ये बात कही. सुप्रीम कोर्ट के जज, जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि देश के हर एक पुलिस थाने में किसी भी नागरिक को फ्री कानूनी सहायता दिए जाने की जानकारी डिस्प्ले बोर्ड पर लिखी होनी चाहिए. सभी आरोपियों को पता होना चाहिए कि कानूनी सहायता उनका अधिकार है और ये भी कि उसे ये सुविधा कैसे मिलेगी. हरियाणा लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के कार्यक्रम में जस्टिस ललित मुख्य अतिथि थे. साल भर चलने वाले इस अभियान का मकसद गुणवत्ता युक्त कानूनी सहायता के जरिए आम आदमी तक न्याय पहुंचाना है.
जस्टिस ललित ने इस मौके पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट पर आधारित जानकारीपरक वीडियो और लीगल एड के फायदे बताकर लोगों को जागरुक करने वाली एनिमेशन फिल्म भी रिलीज की. समारोह में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और कई जज भी मौजूद थे.
नागरिकों के सम्मान की रक्षा के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत: जस्टिस ललित
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