सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार(Central Government) के इस अनुरोध को ठुकरा दिया है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को और समय देने से इनकार करते हुए आदेश दिया है कि 14 नवंबर को होने वाली एनडीए की प्रवेश परीक्षा में महिलाओं को बैठने की अनुमति दे दी जाए।
अधिकारों से नहीं किया जा सकता वंचित
इस मामले की सुनवाई के दौरान बुधवार को शीर्ष अदालत ने सशस्त्र बल की क्षमताओं का भी उल्लेख किया। अदालत ने कहा कि सशस्त्र बल तो खुद ही हर प्रकार की आपात स्थितियों से निपटने में सक्षम होता है। अदालत ने कहा कि यदि इस बाबत किसी भी प्रकार की समस्या सामने आती है तो इस संबंध में सरकार की ओर से अदालत को सूचित किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिलाओं को उनके अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। एनडीए की प्रवेश परीक्षा में बैठने की अनुमति का मुद्दा भी महिलाओं के अधिकार से जुड़ा हुआ है । लिहाज़ा महिलाओं से यह अधिकार नहीं छीना जाना चाहिए। सरकार को इस दिशा में अविलंब कदम उठाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस के कौल ने कहा कि इस मामले में रक्षा मंत्रालय को यूपीएससी की मदद के लिए आगे आना चाहिए।
इस मामले में नहीं की जा सकती देरी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब इस मामले में ज्यादा देरी करना उचित नहीं होगा। क्योंकि एक साल की देरी सब कुछ समाप्त कर देगी। जस्टिस कौल ने कहा कि इस बारे में अदालत की ओर से कोई समय सीमा नहीं तय की जा रही है। अदालत यूपीएससी को परीक्षा के आयोजन की अधिसूचना के संबंध में किसी निश्चित तारीख के संबंध में कोई आदेश नहीं दे रही है। जस्टिस कौल ने कहा कि यह हमारे सशस्त्र बल का इतिहास रहा है कि उसने कई आपात स्थितियों से निपटने में कामयाबी पाई है। हमारे सशस्त्र बलों को इसी बात की ट्रेनिंग दी जाती है कि आपात स्थितियों से कैसे निपटा जाए और वे निश्चित रूप से इस स्थिति से निपटने में कक्षा में होंगे।
अदालत ने सरकार को महिलाओं को परीक्षा में शामिल करने के संबंध में नीतियां लागू करने के लिए 6 महीने का समय देने से भी इनकार कर दिया। अदालत ने उम्मीद जताई कि सरकार महिलाओं को परीक्षा में शामिल करने के संबंध में आने वाली दिक्कतों पर विजय पाने में सफल होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र का अनुरोध ठुकराया
केंद्र सरकार की ओर से मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा गया था कि सरकार मई, 2022 तक एनडीए में महिलाओं को शामिल करने के संबंध में पूरी तैयारी कर लेगी। सरकार का कहना था कि रक्षा मंत्रालय की ओर से मई 2022 के डेडलाइन को पूरा करने के लिए तैयारियां शुरू की जा चुकी हैं मगर बुधवार को अदालत ने सरकार का यह अनुरोध ठुकरा दिया।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को हलफनामा दाखिल करके टाइमलाइन के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा था। अदालत ने निर्देश दिया था कि सरकार इस बाबत हलफनामा दाखिल करे ताकि यह स्पष्ट हो सके कि महिलाएं एनडीए की परीक्षा में कब से बैठ सकेंगी। वैसे शुरुआत में सरकार की ओर से इस कदम का विरोध किया गया था। मगर बाद में अदालत के कड़े रुख को देखते हुए सरकार एनडीए परीक्षाओं में महिलाओं को अनुमति देने के लिए तैयार हो गई थी।