सिसोदिया ने कहा कि उपराज्यपाल की दलील है कि इस बात की अब कोई जरूरत ही नहीं है। दिल्ली सरकार की ओर से यह फाइल पहले भी भेजी गई थी। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल के कदम से अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई है।
एक ओर केंद्र सरकार की ओर से राज्यों से यह पूछा जा रहा है कि ऑक्सीजन की कमी से कितने मरीजों की जान गई और दूसरी ओर उपराज्यपाल हमें ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों की जांच ही नहीं करने दे रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार को सूचना देना कैसे संभव हो सकेगा।
ऑक्सीजन संकट से हुई मौतों से इनकार नहीं
उपराज्यपाल की ओर से फाइल लौट आने की जानकारी देते हुए सिसोदिया ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में उन्हें कटघरे में भी खड़ा किया। उन्होंने कहा कि इस बात से कोई भी इनकार नहीं कर सकता कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली को ऑक्सीजन की जबर्दस्त किल्लत का सामना करना पड़ा था।
इसके साथ ही इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि कुछ लोगों की जान ऑक्सीजन की कमी की वजह से चली गई थी। हम इस मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन करना चाहते हैं मगर उपराज्यपाल हमें इस कमेटी के गठन से रोक रहे हैं। ऐसे में ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों का खुलासा आखिर कैसे हो सकेगा।
केंद्र सरकार की मंशा पर उठाए सवाल
सिसोदिया ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल के इस कदम से साफ है कि केंद्र सरकार की मंशा है कि हम बिना जांच पड़ताल किए लिखित रूप में दे दें कि ऑक्सीजन की कमी से राजधानी में कोई मौत नहीं हुई। अगर दिल्ली सरकार की ओर से यह कदम उठाया जाता है तो यह झूठ के सिवा कुछ नहीं होगा।