आज कोरोना की महामारी जिस तरह पूरे देश में फैली है और कौन फैला रहा इस पर बात हो तो कहा जायेगा कि अगर मामला किसी भी मुसलमान का हो तो सब एक साथ चिल्लाने लगते हैं। हां मानता हूं उनकी एक ब्रांच तब्लीकियों ने कोरोना फैलाने में कोई कोर कसर न छोड़ी वही ईस्टर गुडफ्राइडे मनाने हजारों लोग लॉक डाउन कर्फ्यू के बावजूद कैसे मोहाली जिले के डेराबस्सी के नजदीक जवाहरपुर में किसकी इजाजत से इकट्ठा हुए थे।
अब हुजूर साहेब नांदेड़ से वहाँ रुके ठहरे लोग जिनको बसों में भर कर पंजाब लाने का काम किया केवल वोट बैंक को नजर रखते हुए। अब वहां से लोगों को ले तो आये उनके स्वास्थ्य की जांच क्यों न कराई? टेस्टकोरोना का करवाया था क्या? केवल हाथ साफ करवाया बसों में भरले आये। सारा पंजाब कोरोना संक्रमितों से भर दिया। इस परकोई हो हल्ला नही क्योंकि ये सिख हैं। अब छात्रों को जगह-जगह से लाने ले जाने का काम शुरु है। मजदूरों प्रवासियों को भेजने लाने की प्रक्रिया चल रही है बिना जांच के क्योंकि वे सडकों पे आग ये हैं। वे बवाल न मचाएं इस डर से न….एक तरफ कुछ सिख एक पुलिस के मुलाजिम सिख का जो जांच के लिए रोक रहा था का हाथ काटते हैं। धर्म के रक्षक सिपाही बन उधम करते हैं। सरकार चुप रहती है हाथ काट दिया कानून का कोरोना केरियर्स ने क्या? हरमंदिर साहिब(स्वर्ण मंदिर )के एक रागी ग्रंथि की कोरोना से तड़प तड़प कर जान चली गई लेकिन लोग अपने आप को श्रद्धालु बन इतने दिनों से नांदेड़ साहेब में अटके थे।
अब ये इनके खिलाफ कोई कार्यवाई कैसे क्या करेगा देखना होगा।वहीं अब ये रमजान का महीना चल रहा है। लोग अब भी नमाज, सहरी, अफ्तारी के नाम पे हजारों की संख्या में इकट्ठा होरहे अगर अभी लॉक डाउन कर्फ्यू में ढील दी गई तो देश के हालात अमरीका, स्पेन, ऑस्ट्रलिया से भी बदतर हो जाएंगे। इसकी जिम्मेवारी कौन सा राजनैतिक नेता, संगठन, सरकार या मानवाधिकार संगठन लेगा ये कौन बताएगा?
सरकार का देश और सभी राज्य सरकार में लॉक डाउन करवाने के फैसले से 130 करोड़ की आबादी में अभी संक्रमितों की संख्या आज की तारीख में लगभग 35 हजार और मृतकों की संख्या 1100 पहुंच सकी हैं। अगर, ये न होता तो देश के अंदर के हालात क्या होते सोच के सिहरन पैदा हो जाती है कि आज पूरे संसार में लगभग 2 लाख 32 हजार लोग मारे गए कोरोना से अकेले आज तक अमरीका में 63 हजार के लगभग मौतें हुई जहां हर संसाधन मौजूद थे जनसंख्या कम थी। लोग भी अनपढ़ अशिक्षित नही थे। पढ़े लिखे होशियार ही मारे गए ये जान लें हमारे देश का आंकड़ा भी निकालेंगे तो पढ़े लिखे होशियार लोगों के मरने की संख्या अधिक होगी।
एक बात और ध्यान देने वाली है कि हमारे देश गांवों की बजाय नगरों शहरों में कोरोना कोविद 19 संक्रमितों की संख्या बहुत अधिक हैं। गांवों में ग्रामीणों ने अपना शासन कायम कर देश के कानून का और इस बीमारी से लड़ने के नियमो का पालन बखूबी किया जो सराहनीय है। अब ये श्रमिक मजदूर जो गाँव की ओर वापसी की सोच रहे या जारहे वे महामारी को फैलाएंगे ये सुनिश्चित है। हां देश मे रोटी रोजगार की समस्या है कष्ट सभी को है आगे होगा कठिनाइयों का दौर लेकिन उससे हम सभी निपट लेंगे। लेकिन पहले कोरोना से तो निपट लें। लॉक डाउन को हटाना कम करना उचित न होगा। सरकार ने सुविधाओं के लिए पास जबसे जारी करने शुरू किए तभी से संक्रमितों की संख्या में बेतहाशा बृद्धि हुई है ये भी आंकड़े बता रहे हैं।
(लेखक, वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं और ये विचार लेखक के निजी हैं)