भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्षीय निर्वाचन रिजेक्ट 2022 पद के चुनाव में 416 वोट रिजेक्ट हो गए। दरअसल, कुछ नेता मतपत्र में राहुल गांधी का नाम लिख आए थे, जबकि वे जानते थे कि राहुल चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। कुछ नेता तो मतपत्र में अपना नाम और कुछ मोबाइल नंबर भी लिख आए। कांग्रेस संगठन के चुनाव प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री ने यह जानकारी दी।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्षीय निर्वाचन रिजेक्ट 2022
कुछ ने अपना नाम और नंबर भी लिखा, मिस्त्री बोले- इसीलिए रिजेक्ट हो गए 416 वोट
इस चुनाव में कुल 9,385 वोट पड़े।
- मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी के नए अध्यक्ष चुने गए हैं।
- उन्होंने शशि थरूर को 6,825 वोटों से हराया।
- खड़गे को 7,897 वोट
- थरूर को 1,072 वोट ही मिल सके।
इस तरह से 24 साल बाद कांग्रेस को गैर-गांधी अध्यक्ष मिल गया है।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्षीय निर्वाचन रिजेक्ट थरूर के खेमे ने लगाया धांधली का आरोप
चुनाव के नतीजे आते ही थरूर ने खड़गे को बधाई दी और अपना साथ देने वालों को धन्यवाद दिया। इसके बाद वे खड़गे से मिलने उनके दिल्ली स्थित आवास पहुंचे। हालांकि, थरूर के चीफ इलेक्शन एजेंट सलमान सोज ने वोटिंग में धांधली का आरोप लगाया था।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नतीजे आने से पहले ही खड़गे की जीत की बात कह दी थी। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस अकेली ऐसी पार्टी है, जिसमें इलेक्शन होता है और उसका अपना इलेक्शन कमीशन है। मैंने कांग्रेस इलेक्शन कमेटी के चेयरमैन मधुसूदन मिस्त्री के साथ काम किया। वे काफी स्पष्ट वक्ता हैं। सारे मसले उनकी नजर में लाए गए हैं और वही एक्शन लेंगे।
राहुल बोले- मेरा रोल खड़गे जी से पूछिए
हर कोई कांग्रेस में चुनाव के बारे में पूछता है। मुझे कांग्रेस पर फख्र है, जिसमें ओपन और ट्रांसपेरेंट चुनाव हो रहे हैं। कोई दूसरी पार्टियों के भीतर चुनाव में इंट्रेस्ट क्यों नहीं लेता, चाहे वो भाजपा हो या दूसरी क्षेत्रीय पार्टियां। इस दौरान राहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में अनियमितता के आरोपों पर भी बात की। जब उनसे पार्टी में रोल के बारे में सवाल किया गया तो कहा- खड़गे जी से पूछिए, अब वही तय करेंगे।
आखिरी बार 1998 में वोटिंग से हुआ था चुनाव
कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए आखिरी बार साल 1998 में वोटिंग हुई थी। तब सोनिया गांधी के सामने जितेंद्र प्रसाद थे। सोनिया गांधी को करीब 7,448 वोट मिले, जबकि जितेंद्र प्रसाद 94 वोटों पर ही सिमट गए। सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद से गांधी परिवार को कभी कोई चुनौती नहीं मिली। इस बार राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने से इनकार करने के बाद पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराने का फैसला लिया गया था।