शहरी विकास के लिए अब नए कानूनी प्रावधान जोड़ने का उपयुक्त समय : ढेसी
गुरुग्राम/ मुकेश बघेल ( अतुल्य लोकतंत्र ): हरियाणा में मौजूदा सरकार ने अपने 7 सालों के कार्यकाल में हर स्तर पर विवाद से समाधान की दिशा में सार्थक कदम बढ़ाए हैं। विकासात्मक बदलाव के साथ सरकार ने रीयल एस्टेट व शहरीकरण के क्षेत्र में भी बिल्डर व अलॉटी की सुविधा अनुरूप सकारात्मक कार्य किए हैं। यह बात मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डी.एस. ढेसी ने कही। वे शनिवार को गुरुग्राम में आयोजित दो दिवसीय अर्बन डेवेलपमेंट कॉन्क्लेव के प्रातःकालीन सत्र के शुभारम्भ अवसर पर बोल रहे थे। श्री ढेसी ने प्रधान सचिव वी.उमाशंकर व अन्य अधिकारीगण के साथ दीप प्रज्ज्वलन के साथ शनिवार को सत्र का आगाज किया। नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग के महानिदेशक के.एम.पांडुरंग ने मुख्यातिथि श्री ढेसी सहित अन्य अतिथिगण का स्वागत करते हुए कॉन्क्लेव के आयोजन बारे अवगत कराया।
’कॉन्क्लेव का आयोजन सरकार की रीयल एस्टेट में सजगता दर्शाता है – ढेसी’
सत्र के मुख्यातिथि मुख्य प्रधान सचिव श्री ढेसी ने कहा कि हरियाणा सरकार प्रदेश में आधारभूत ढांचागत विकास के साथ ही रीयल एस्टेट में डेवलपर व अलॉटी को सुखद माहौल प्रदान करने में पूर्ण सहयोगी बन रही है। उन्होंने कहा कि रीयल एस्टेट में संरचनात्मक सुधार के लिए नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग हरियाणा की टीम सकारात्मक सोच के साथ योजनाओं को क्रियान्वित कर रही है और रेगुलेटरी अथॉरिटी के तौर पर पंचकूला व गुरुग्राम हरेरा सक्षम भूमिका भी निभा रही है। वहीं अलॉटी अथवा आरडब्ल्यूए को भी हर स्तर पर सहयोग व सेवाएं उपलब्ध करवाने में सरकार अपना दायित्व प्रभावी रूप से निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि दो दिवसीय अर्बन डेवेलपमेंट कॉन्क्लेव का आयोजन सरकार की रीयल एस्टेट में सुधार की मंशा दर्शाता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार आने के बाद सकारात्मक सोच के साथ नियमों में व्यवहारिक बदलाव किए गए हैं। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि पहले हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण में जमीन अधिग्रहण पर न्यायालय के बढौतरी के फैसले के बाद उसका बोझ अलाटियो पर डाला जाता था। प्रदेश में पहली बार विवाद से समाधान की सकारात्मक सोच अपनाते हुए इस समस्या का समाधान किया गया है। उन्हांेने कहा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल सभी विवादास्पद मुद्दों पर व्यवहारिक निर्णय लेकर उनका समाधान निकालना चाहते हैं।
शहरी विकास के लिए कानूनी प्रावधानों में बदलाव का अब सही समय – सीपीएस’
मुख्य प्रधान सचिव (सीपीएस) डी.एस. ढेसी ने कहा कि रीयल एस्टेट के लिए मौजूदा सरकार द्वारा बेहतर व्यावहारिक माहौल प्रदान किया जा रहा है। हर पहलू पर निर्धारित नियमों के अनुरूप कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार द्वारा विभागीय स्तर पर पूर्ण पारदर्शिता के साथ ही रीयल एस्टेट के लिए समयबद्धता के साथ सहयोग दिया जा रहा है और अब शहरीकरण के लिए नियमों में नए प्रावधान करने का सही समय आया है। बदलते समय के साथ एक्ट में सुधार लाते हुए कार्य किए जा रहे हैं, ऐसे में डेवेलपर और अलॉटी को सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए कॉन्क्लेव में प्रेरित किया गया। उन्होंने कहा कि सकारात्मक नजरिये से सरकार निरन्तर आगे कदम बढ़ा रही है। इसके साथ उन्होंने कॉन्क्लेव आयोजन के विचार को अच्छा बताते हुए कहा कि नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग का जब भी इतिहास लिखा जाएगा, तो उसमें इस कॉन्क्लेव का उल्लेख भी होगा।
-रोजगार सृजन ,क्वालिटी ऑफ लाइफ व क्षमता निर्माण पर फोकस जरूरी – उमाशंकर
मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी उमाशंकर ने कहा कि हमें विभिन्न पहलुओं पर काम करते हुए भविष्य में शहर में विकास की संभावनाओं तथा अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार करने की जरुरत है। उन्होंने अपने संबोधन में शहरी विकास के साथ-साथ रोजगार सृजन ,क्वालिटी ऑफ लाइफ व क्षमता निर्माण पर विचार रखते हुए इन पहुलओं पर पूरा फ़ोकस करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि यदि रोजगार की संभावनाएं बढ़ेगी तो निश्चित तौर पर ही रीयल स्टेट व शहरी विकास भी बढ़ेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी शहर में विकास व क्वालिटी लिविंग के लिए अच्छी मोबिलिटी, डिजिटल कनेक्टिविटी के महत्व पर भी बल दिया जाना समय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि रीयल एस्टेट के हितधारकों की संख्या काफी बढ़ी है। ऐसे में जरूरी है के इन सभी मुद्दों पर चरणबद्ध तरीके से काम करते हुए इनका समाधान किया जाए। उन्होंने मुद्दों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार टू डेवलपर , डेवलपर टू बायर तथा बायर टू बायर मुख्य विषय है, जिनमें आपस में बेहतर संबंध स्थापित होने चाहिए। इस कॉन्क्लेव के माध्यम से इन मुद्दों का समाधान करने का प्रयास किया गया है। इसके अलावा उन्होंने कैश फ्लो संबंधी समस्याओं का भी उल्लेख किया।
हरियाणा बन रहा है हर क्षेत्र में अनुकरणीय – एसीएस देवेंद्र सिंह
नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग के एसीएस देवेंद्र सिंह ने कहा कि आज हरियाणा प्रदेश हर क्षेत्र में विकास के नए आयाम स्थापित कर रहा है। सरकार की प्रभावशाली योजनाएं अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय बन रही हैं। उन्होंने बताया कि रीयल एस्टेट व शहरीकरण में अभूतपूर्व सुधार लाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि रीयल एस्टेट से जुड़े हितधारकों के सुझावों के आधार पर सरकार काम कर रही है ताकि सरकारी स्तर के साथ ही रेरा की कार्यशैली के मद्दनेजर डेवेलपर व अलॉटी को सीधे तौर पर लाभान्वित किया जा सके। उन्होंने कहा कि नवाचार पद्धति को अपनाकर विभाग बेहतर सेवाएं प्रदान करने की दिशा में कार्य कर रहा है। संरचनात्मक सुरक्षात्मक विकास के अंतर्गत रीयल एस्टेट को विकसित करने में विभाग अपनी भागीदारी निभा रहा है। श्री देवंेद्र सिंह ने कॉन्क्लेव के पहले दिन शुक्रवार को आयोजित विभिन्न सत्रों में चर्चा किए गए विषयों तथा उनमें दी गई संस्तुतियों के बारे मंे विस्तार से बताया और कहा कि ये संस्तुतियां मुख्यमंत्री के समक्ष रखी जाएंगी जिनके आधार पर वे पॉलिसी निर्णय लेंगे। टीसीपी विभाग को स्ट्रीम लाईन करने के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि डिजीटल माध्यमों का प्रयोग करते हुए सभी प्रकार की अपु्रवल चार महीनों के भीतर दी जाएंगी। इसके अलावा, विभाग में एक एनसीएलटी सैल सृजित किया जाएगा।
अलॉटी को हरेरा के तहत मिले अधिकार – डॉ. खंडेलवाल’
हरियाणा रीयल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (हरेरा) गुरूग्राम के चेरयमैन डा. के के खण्डेलवाल ने कहा कि रीयल एस्टेट में अलॉटी का यह अधिकार है कि वह निर्माण के समय साइट विजिट कर निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को देख सके, उसके नक्शे व ले आउट प्लान का निरीक्षण कर सके। उन्होंने कहा कि अलॉटियों के हितों को दरकिनार कर रीयल एस्टेट सेक्टर में अनियमितता न बरती जाए। रीयल एस्टेट में अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए ही हरेरा का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि सभी डेवलपर्स अपने यहां नोडल अधिकारी की नियुक्ति करेंगे जो रोजाना उनके प्रोजेक्ट्स से जुड़े अलॉटियों की शिकायतों की सुनवाई करेंगे। डा. खंडेलवाल ने कहा कि अब समय आ गया है कि यदि किसी बिल्डिंग प्रोजेक्ट में पांच साल में ही क्वालिटी या स्ट्रक्चरल संबंधी शिकायतें आती हैं तो रेरा द्वारा उसमें क्वालिटी स्ट्रक्चरल ऑडिट के आर्डर किए जाएंगे।
उन्होंने भारत सरकार के अर्बन डेवलोपमेन्ट मंत्रालय के मॉडल बिल्डिंग बाई लॉज़ का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी रिहायसी बिल्डिंग जो 15 साल से पुरानी हो चुकी है उनमें 5 साल, 20 साल से पुरानी में प्रत्येक 3 साल बाद स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाना जरूरी है, वहीं जो बिल्डिंग 30 साल से पुरानी हो चुकी है उसके लिए उसका स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाकर यह तय किया जाए कि बिल्डिंग रहने योग्य है या नहीं।
उन्होंने बताया कि इस दो दिवसीय सम्मेलन में सभी हितधारकों के सामने आ रही समस्याओं और चुनौतियों का समाधान करने पर गंभीरता से मंथन किया गया है।
सत्र में रेरा पंचकूला के चेयरमैन श्री राजन गुप्ता ने डॉ के.के खंडेलवाल के विचारों का अनुमोदन करते हुए कहा कि देश मे लॉ एंड आर्डर व कृषि सेक्टर के बाद रीयल एस्टेट सेक्टर महत्वपूर्ण है जिसमें ध्यान देने व सुधार लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अलॉटियों के हितों को ध्यान में रखते हुए बिल्डर्स व डेवलपर को भी अपना नजरिया बदलने की आवश्यकता है। आने वाले समय में आरडब्लूए अर्बन बॉडीज का महत्वपूर्ण अंग होंगी। उन्होंने कहा कि सम्मेलन निष्कर्ष नही केवल शुरुआत है। सफर लंबा है जिसे हम सभी को सफलता के शिखर पर लेकर जाना है।
इस अवसर पर जीएमडीए के सीईओ सुधीर राजपाल, झारखण्ड की रेरा चेयरपर्सन सीमा सिन्हा, राजस्थान रेरा के चेयरमैन एन सी गोयल, नरेडको के अध्यक्ष प्रवीन जैन, क्रेडाई के अध्यक्ष कुशाग्र अंसल, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के मुख्य प्रशासक अजीत बाला जोशी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।