ग्वालियर (अतुल्य लोकतंत्र ):गोपाल किरन समाजसेवी संस्था के संरक्षक कैलाश चन्द मीणा,मंडल वन अधिकारी,धौलपुर,के मार्गदर्शन ,मुख्य संरक्षक श्रीमती संगीता शाक्य के संरक्षकत्व मैं पर्यावरण सप्ताह के तहत श्रीप्रकाश सिंह निमराजे ,अध्यक्ष के नेतृत्व मैं नगर परिषद, मालनपुर, भिंड के अंतर्गत,थाना मालनपुर में वृक्षारोपण किया गया, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अरविंद शाह ( डीएसपी ,भिंड,) थे।
विशेष अतिथि के रूप मैं थाना प्रभारी मालनपुर श्री विनोद सिंह कुशवाह ,स्वेता शर्मा (एस.आई) , इस अवसर पर ग्वालियर से पधारे संस्था के अध्यक्ष श्रीप्रकाश सिंह निमराजे, ने अध्यक्षता की। इस कार्यक्रम मैं मुख्य भूमिका ब्रेजेंद्र बंसल की रही। इस अवसर पर रणवीर सिंह सिकरवार, विष्णु दत्त शर्मा, मंजीत सिंह, राधा सैनी, (गोपाल किरन समाजसेवी संस्था) मंगल सिंह गुर्जर, राजावत, समाज सेविका श्रीमती सुषमा सिंह जी, अमरेंद्र सिंह,भदौरिया ,चौरसिया,दीपक रजक,जनार्दन सिंह तोमर ए एस आई ,रामप्रकाश भदोरिया (एएसआई,) मोहर सिंह एएसआई, समस्त थाना स्टाफ और क्षेत्र के मीडिया साथी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित होकर वृक्षारोपण किया।
अरविंद शाह (डीएसपी ) ने कहा वृक्षारोपण हर व्यक्ति को करनी चाहिए इसकी वजह से पोलूशन कम होता है,श्रीमती सुषमा सिंह ने कहा, वृक्ष आसपास के वातावरण को शुद्ध करते हैं,पानी का वाटर लेवल बढ़ता है, और वर्षा भी अधिक होती है,जिससे किसान भी खुश होता है। कार्यक्रम के पश्चात संस्था के अध्यक्ष श्री निमराजे ने कहां की वृक्ष हमें पर्यावरण देते हैं सभी लोगों को अपने अपने घरों में भी वृक्ष लगाने चाहिए हमारे जीवन में वृक्षों का बहुत बड़ा महत्व है वृक्ष लगाने के साथ-साथ ही उनकी देखरेख भी करनी चाहिए उन्होंने कहा कि हमारी संस्था द्वारा पर्यावरण सप्ताह कार्यक्रम के तहत वृक्षारोपण करवाया जा रहा है। संस्था प्राकृतिक संसाधनो का संवधर्न को बढवा देने के लिए प्रारंभ से ही चिंतित रही और कार्य कर रही है। वर्तमान पीढ़ी पर्यावरण संरक्षण का संकल्प ले ! उन्होंने कहा कि किसी राष्ट्र की महानता और नैतिक प्रगति का आधार वहाँ के लोगों द्वारा जानवरों के साथ किए गए सलूक पर निर्भर करता है। पुनः उन्होंने देश में अनेक जीव-जंतुओं और वनस्पतियों के लुप्त होते जाने पर अत्यंत दुःख व्यक्त किया और कहा कि इन सबके जिम्मेदार हम सभी मनुष्य ही हैं। जीव-जंतुओं और वनस्पतियों का सचित्र वर्णन करते हुए उनकी उपयोगिता, महत्ता और उनके संरक्षण पर विस्तार पूर्वक अपने विचारों को प्रस्तुत किया। उनका यह भी स्पष्ट मानना है कि दिल्ली और इसके आस-पास के क्षेत्रों में पानी की खराब क्वालिटी और भूकंप की अधिकता की मुख्य वजह प्रकृति के साथ किया गया हमारा बुरा व्यवहार ही है। अपने वक्तव्य के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि हम प्रायः सभी से वृक्ष लगाने का आग्रह करते हैं, परंतु वृक्ष लगाने से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि हम कौन सा वृक्ष लगाएं! हमें अपने क्षेत्र में ऐसे ही वृक्ष लगाने चाहिए जो जीव-जंतुओं और वनस्पतियों के संरक्षण के लिए उपयोगी हैं, जो उन्हें व्यापक मात्रा में खाद्य सामग्री उपलब्ध करा सकें। अपने वक्तव्य के अंत में उन्होंने जीव-जंतुओं और वनस्पतियों के संरक्षण का सभी से आग्रह करते हुए इसके प्रति समाज में जागरूकता फैलाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि हम ग्रीटिंग कार्ड, ई-कार्ड, कैलेंडर और बुकलेट पर जीव-जंतुओं और वनस्पतियों के संरक्षण संबंधित जानकारी प्रिंट करके लोगों को जागरुक कर सकते हैं। पर्यावरण शब्द को पारिभाषित करते हुए ग्लोबलवार्मिंग पर चिंता व्यक्त की। कार्यक्रम में उपस्थित सभी से पर्यावरण संरक्षण के लिए आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि इसे वर्ष में सिर्फ एक दिन मनाने की जरूरत नहीं है, बल्कि इसे हमें अपनी दिनचर्या में शामिल करना होगा। वृक्ष आसपास के वातावरण को शुद्ध करते है। गिरते भूजल को रोकने मैं भी। मदद करते है ओर अत्यधिक वृक्ष होने से वर्षा भी अधिक होती है जिससे किसान भी खुश होता है। पर्यावरण संरक्षण के लिए दैनिक रुप से हमें अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना होगा।
तथागत बुद्ध प्रकृति प्रेमी थे । उनका जन्म लुंबिनी वन में हुआ था और तथागत बुद्ध को बोधि वृक्ष( पीपल के वृक्ष) के नीचे 12 साल तपस्या करने के बाद ज्ञान प्राप्त हुआ था । इसलिए तथागत बुद्ध की प्रतिमा है अधिकतर देश -विदेशों में प्रकृति के बीच बनाई जाती है जहां बुद्ध विहार नहीं होते मात्र बुद्ध की प्रतिमा होती है । सम्राट अशोक ने अपनी प्रजा का ध्यान रखते हुए सड़क के किनारे फलदार वृक्ष और आम के वृक्ष लगवाए थे। बाबा साहब अंबेडकर ने बहुत सुंदर बगीचा बनवाए थे ।कहते हैं उस समय किसी के यहां ऐसा बगीचा नहीं था। आज की स्थिति ऐसी है कि हवा (ऑक्सीजन )महंगी और दवाई सस्ती हो गई है। बरगद का वृक्ष सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देता है ,उसके बाद पीपल का वृक्ष और उसके बाद नीम का वृक्ष सबसे ज्यादा ऑक्सीजन प्रदान करता है।
कालांतर में मनुष्यों ने प्रकृति का अत्यंत दोहन किया है। कोरोना महामारी उसी की एक चेतावनी है। उन्होंने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि हम अपने छोटे-छोटे प्रयासों से ही पर्यावरण को सुंदर और संरक्षित कर सकते हैं। प्रकृति की महत्ता का प्रतिपादन करते हुए कहा कि वहाँ पर्यावरण संरक्षण करते हुए 100 वर्ष जीने की कामना की गई है। उन्होंने यह ही कहा कि पर्यावरण को बचाना हम सभी मनुष्य का परम कर्तव्य है ! इसकी शुरुआत वह अपने घर से ही आरंभ करे। विद्यार्थियों को पर्यावरण के प्रति प्रेरणा देना गुरुओं का परम कर्तव्य है।
कई अन्य जनों ने अपने विचार प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में उपस्थित सभी माननीय अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी को बधाई दी।