• मंच ने कहा मिले अधिकार का हो सदुपयोग
Faridabad (अतुल्य लोकतंत्र ): स्वतंत्रता दिवस पर सीएम मनोहर लाल ने सभी सरकारी स्कूलों की विद्यालय प्रबंधन समिति (एसएमसी) को किसी भी प्रकार के सिविल कार्य एवं 25 लाख रुपये तक के ड्यूल डेस्क क्रय करने का अधिकार दिया है। हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने इसका स्वागत करते हुए कहा है कि इस अधिकार का ठीक प्रकार से सदुपयोग होना चाहिए। मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि देखा गया है कि एसएमसी का चयन नियमानुसार ठीक प्रकार से नहीं होता है। नियमानुसार एसएमसी में नगरपालिका या ग्राम पंचायत के निर्वाचित सदस्यों में से एक सदस्य, शिक्षकों में से एक सदस्य, स्थानीय शिक्षाविद या एनजीओ, कंपनी या दानी ट्रस्ट में से अधिकतम तीन सदस्य शामिल किए जाने चाहिए। फीस भरने वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों को एसएमसी में शामिल करना अनिवार्य है।
समिति सदस्यों में 50 फीसद सदस्य महिलाएं होनी चाहिए। सदस्यों में एक अनुसूचित जाति व एक पिछड़ा वर्ग से जरूर होना चाहिए। लेकिन एसएमसी का गठन पूरी ईमानदारी व पारदर्शी से नहीं होता है। एसएमसी का गठन कब और कैसे हुआ इसका किसी को पता ही नहीं चलता। एसएमसी में अपने चहेते लोगों को शामिल किया जाता है। एसएमसी की मीटिंग एक तो होती नहीं, सरकार को दिखाने के लिए अगर होती है तो अपनी मर्जी से लिए गए निर्णयों पर अध्यक्ष व चार पांच सदस्यों को बुलाकर उनके हस्ताक्षर करा लिए जाते हैं।
मंच का कहना है कि एसएमसी का गठन स्कूल के अभिभावकों शहर व गांव के मौजिज लोगों की देखरेख में पूरी पारदर्शिता से होना चाहिए।
मंच ने सभी स्कूलों के प्रधानाचार्य, मिडिल हेड से अपील की है कि वे स्कूल मैनेजमेंट कमेटी का गठन पूरी पारदर्शिता व नियमों के अनुसार करें और अब जो एसएमसी को 25 लाख रुपये तक के ड्यूल डेस्क क्रय करने का अधिकार दिया गया है यह सुनिश्चित करें कि उसका ठीक प्रकार से सदुपयोग हो। मंच ने शहर व गांव के शिक्षाविद व मौजिज लोगों से भी अपील की है कि वे एसएमसी में योग्य, ईमानदार व शिक्षित लोगों को ही शामिल कराएं और समय समय पर उनके कार्यों की निगरानी रखें।
गौरतलब है कि निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 21 के अंतर्गत प्रत्येक सरकारी विद्यालय में दो वर्ष के लिए स्कूल मैनेजमेंट कमेटी का गठन किया जाता है।
एसएमसी के कार्य•
एसएमसी मास में कम से कम एक बार अपनी बैठक करना। स्कूल की जरूरतों का पता लगा विकास योजना तैयार करना,
स्कूल में मिलने वाले मिड डे मील भोजन की निगरानी करना, स्कूल की प्राप्तियों और व्यय का वार्षिक लेखा तैयार करना,विभाग द्वारा स्कूल विकास,बालक कल्याण तथा शैक्षणिक उत्थान के लिए जारी ग्रांट को पारदर्शिता से खर्च कराना,आम सभा वार्षिक बैठक,एसएमसी स्थापना दिवस व सोशल आडिट करवाना, मुख्यमंत्री दूरवर्ती शिक्षा कार्यक्रम पर चर्चा,
वार्षिक योजना पर आमसभा की सहमति, संस्कृति माडल स्कूलों के लिए बनाए गए स्कूल डवलपमेंट प्लान पर चर्चा, नए शैक्षणिक वर्ष के लिए स्कूल विकास योजना ।