Faridabad/ATULYA LOKTANTRA :हरियाणा सरस्वती हेरिटेज डेवलपमेंट बोर्ड और शिक्षा विभाग हरियाणा के आदेशानुसार अंतरराष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव के अंतर्गत राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन एच तीन फरीदाबाद की जूनियर रेडक्रॉस, सैंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड और गाइडस द्वारा प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।
बसंत पंचमी के अवसर पर सरस्वती महोत्सव मनाया गया
इस अवसर पर निबंध लेखन, पोस्टर मेकिंग, पेंसिल स्केचिंग, कविता लेखन और डेक्लामेशन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। माँ श्री महासरस्वती की आराधना का पावन पर्व बसंत पंचमी को मनाया जाता है। प्राचार्य, जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड प्रभारी रविन्द्र कुमार मनचंदा ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जिस तरह सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही सभी देवता, नाग, राक्षस, गंधर्व आदि एक माह के लिए पृथ्वी आते हैं। उसी प्रकार सूर्य के कुम्भ राशि में प्रवेश से ॠतुओं के राजा बसंत पर्व महोत्सव का आरंभ होता है। वैसे तो बसंत ऋतु की पूरी अवधि महत्वपूर्ण है, लेकिन इसका आरम्भ सर्वाधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती का प्राकट्यपर्व भी मनाया जाता है।
बसंतपंचमी के दिन ही
माँ सरस्वती का भी प्रादुर्भाव हुआ है। अतः इस दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है। सृष्टि में जड़ता तोड़कर चेतनता प्रदान करने वाली माँ सरस्वती का जो कोई भी इस दिन पूजन करता है, वह विद्या व ज्ञान प्राप्त करता है तथा चारों ओर उसका आदर-सत्कार होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन माँ सरस्वती की आराधना करने से सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है। शिक्षण संस्थानों एवं विद्यार्थियों के लिए यह दिन वरदान की तरह है इस दिन कोई भी विद्यार्थी श्रद्धा-विश्वास से माँ की आराधना करता है तो उसे परीक्षा अथवा
प्रतियोगिताओं में सफल होने की शक्ति मां सरस्वती की कृपा से प्राप्त होती है। दसवें श्लोक से माँ सरस्वती की आराधना कर के विद्या प्राप्त करने में सफलता प्राप्त होती है।
“एमम्बितमें नदीतमे देवीतमे सरस्वति। अप्रशस्ता इवस्मसि प्रशस्तिमम्ब नस्कृधि”।
प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचंदा ने कहा कि तीनों लोक और चौदह भुवनों सहित इस चराचर जगत में छाये अंधकार को दूर करने की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती की जो भक्ति पूर्वक पूजा करता है उसे ज्ञानरूपी धन की प्राप्ति होती है तथा अज्ञानता रूपी अन्धकार नष्ट हो जाता है।
आदि शक्ति माँ पार्वती से प्रादुर्भूत माँ सरस्वती की अनुकम्पा से जड़ता में भी चेतनता का संचार होने लगता है। प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचंदा ने निबंध लेखन, पोस्टर मेकिंग, पेंसिल स्केचिंग, कविता लेखन और डेक्लामेशन
प्रतियोगिताओं में क्रमशः सानिया, अंशु, प्रीति, नेहा कुमारी और सिमरन को प्रथम, रेखा, तनु, सिमरन, हेमलता और वफाना को द्वितीय तथा तबिंदा, गीत, तनु, प्रीति और तबिंदा को तृतीय घोषित किया। इस आयोजन में प्राध्यापिका ललिता और शीतू का उल्लेखनीय योगदान रहा।