– शहर में जनांदोलन के पर्याय बन चुके हैं बाबा
दीपक शर्मा शक्ति की कलम से..
बाबा फरीद की नगरी फरीदाबाद जो कभी उद्योग जगत में ” मैनचेस्टर ऑफ इंडिया” कहलाती थी । समय के साथ साथ इस शहर का उद्योग में पहचान का पहिया थमा तो नहीं लेकिन अपनी औद्योगिक पहचान खोता गया। आज यदि इस शहर के उद्योग की बात की जाए तो अब उद्योगों की स्थिति दयनीय है और रही सही कसर महामारी कोरोना ने पूरी कर दी।
अब बात की जाए शहर की लाइफलाइन सड़कों की तो सड़कों की हालत किसी आमोखास से छिपी नहीं है। समझ से परे हो जाता है समझना यह सब जब हम इस गलतफहमी में जी रहे हों कि हम ” स्मार्ट सिटी के लोग” कहलाए जाते हों।
यही स्थिति कमोबेश बरसाती पानी की निकासी की भी है चाहे वह वी आई पी एरिया हो या कोई हुड्डा के सैक्टर या कोई छोटी बड़ी कॉलोनी। पिछले साल से सड़कें विकास के नाम पर खुदी हुई हैं, स्थिति जस की तस।
कौन हैं बाबा अनशनकारी रामकेवल सतनामी-
बाबा रामकेवल मूलतः उत्तरप्रदेश की पृष्ठभूमि से तालुख रखते हैं लेकिन पिछले कई वर्षों से इसी शहर के वासी हैं , तिलपत गांव में एक कुटिया में रहते हैं।
बाबा रामकेवल ने फरीदाबाद में आम आदमी की तकलीफ़ लिए दर्द और जुनून के कारण एक खास पहचान बनाई है तो वहीं वे शहर में हर छोटे बड़े आंदोलन , प्रदर्शन के पर्याय बन चुके हैं बाबा रामकेवल ,क्योंकि शहर की हर छोटी बड़ी तकलीफ़ से बाबा वाकिफ हैं।
लेकिन इस प्याली हार्डवेयर रोड पर हुई दुर्घटनाओं ने बाबा के अंतर्मन को झकझोर दिया था। इन दुर्घटनाओं में अब तक कई लोग चोटिल हो गए हैं और कुछ लोगों की मृत्यु भी हुई है। इस खूनी रोड के निर्माण के लिए बाबा ने वह सब कुछ किया जो एक अमन पसंद नागरिक करता है लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला तो बाबा ने वहीं पर तम्बू गाड़कर शांतिपूर्वक तरीके से अपने कुछ साथियों के साथ अपना विरोध शुरू कर दिया।
आज इतने दिनों से प्रदर्शन के बाद भी स्थिति वही है जो पहले थी इसे प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की इस स्तर की बेशर्मी नहीं कहा जाए तो क्या कहा जाए। इस शहर में हमारे अपने सांसद ( जो केंद्र सरकार में राज्यमंत्री भी है ) , प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री , मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार , अन्य प्रदेश सरकार के बोर्ड चेयरमैन , सदस्य कई लोग इस लोकसभा क्षेत्र के ही वासी हैं, इतने सब के बाद भी एक आम आदमी की साधारण सी समस्या को भी हल न किया जा सकता है तो क्या मतलब रह जाता है ऐसी सरकार का सत्ता में रहने का यह विचार करने योग्य विषय है जिस पर क्षेत्र के लोगों को सोचना चाहिए।
इसे डायलॉग की कमी कहा जाए तो भी उचित नहीं , बाबा ने शांति पूर्व तरीके से पहले अपनी पीड़ा ( सड़क समस्या) जिला प्रशासन, नगर निगम,पक्ष विपक्ष के नेताओं तक निजी रूप से मिलकर व पत्र के माध्यम से पहुंचाई थी।
बावजूद इस सब के यह स्थिति वैसी ही है जो समझ से परे है , यह स्थिति आने वाले दिनों में क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के लिए भविष्य की राह का कांटा अवश्य बन सकती है। यदि वक़्त रहते स्थिति सम्भाल दी जाती तो सामूहिक रूप से सभी की गरिमा बनती।