• जिले में जारी एसओपी के अनुसार किसी भी सामाजिक कार्यक्रम में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना अनिवार्य है
फरीदाबाद (अतुल्य लोकतंत्र ): नियम और कानून सिर्फ आमलोगों लिए बनते है और उनकी पालना भी उन्हें ही करनी पड़ती है। इसका जीता जागता एक उदाहरण शहर के घरोड़ा स्थित एक निजी स्कूल विद्यासागर इंटरनेशनल में संस्कारशाला के शुभारंभ के दौरान देखने को मिला।
आलम ये था कि सोशल डिस्टेंसिंग अंतिम सांसे ले रही थी और मास्क को सब भूल गए थे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जिला उपायुक्त और जिला शिक्षा अधिकारी व अन्य राजनीतिक लोगों ने भी शिरकत की थी। जबकि जिले में जारी एसओपी के अनुसार किसी भी सामाजिक कार्यक्रम में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना अनिवार्य है तथा लोगों की संख्या जगह के निर्धारित की हुई है।
दरअसल, जिले में कोरोना के मामलों ने रफ्तार पकड़ ली है। प्रतिदिन 200 से अधिक मामले आ रहे है। ऐसे में महामारी से बचाव के लिए जिले में उपायुक्त द्वारा तथा स्कूलों में जिला शिक्षा अधिकारी रितु चौधरी द्वारा लगभग दस दिन पहले ही एसओपी जारी कर दी गई थी। एसओपी को जिले में पालन करवाने की जिम्मेदारी उपायुक्त की है। यह हम नहीं कह रहे है यह कटु सत्य बयां कर रही है कार्यक्रम की ये तस्वीरें। ऐसे में एक ही सवाल उठता है आमजन के साथ ये सौतेला व्यवहार क्यों?
क्या कोरोना सिर्फ उन गरीबों को होगा जो लाचार है या फिर उनको होगा जो बड़ी मुश्किल से अपने घर का खर्चा चलाते है। कभी गलती से मास्क छूट गया तो हजारों का चालान उनके नाम पर काट दिया जाता है। गरीब की शादी समारोह में मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग तथा लोगों की संख्या पर पूरा ध्यान दिया जाता है। वहां पर एक अधना सा हवलदार आकर उनका चालान काट जाता है या फिर समारोह को रुकवा देता है। लेकिन जिले के बड़े बड़े नेता शानोशौकत से कोरोना के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए होली मिलन समारोह मनाते है।
हद तो शुक्रवार ( ९ अप्रैल) तब हुई जब नियमों की पालना कराने वाले ही नियमों को ताक पर रखकर सामाजिक कार्यक्रम में शामिल हुए और कोरोना के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए मूकदर्शक बने देखते रहे। ऐसे में आमजन पूछे एक सवाल क्या कोरोना से सिर्फ हम ही होंगे बीमार।
नियम सभी के लिए समान होते है और संस्कारशाला में नियमों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ कोरोना के नियमों के मद्देनजर कार्यवाही होनी चाहिए।