कोरोना महामारी में डर के साथ संयम रखने की खास जरूरत है। तभी आप पूर्ण सुरक्षित रह सकते हैं। यह कहना है सेक्टर-16ए स्थित मेट्रो अस्पताल के वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. जितेंद्र कुमार का। वे कोरोना और इससे बचाव विषय पर आयोजित सीएमई को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कोरोना का दूसरा स्ट्रेन तेजी से फैल रहा है। खासकर युवाओं को अपनी चपेट में ले रहा है। इसलिए लोगों को सुरक्षित रहने की आवश्यकता है।
कोरोना ने जो नया रूप बदला है
शहर के वरिष्ठ किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र कुमार ने कोरोना महामारी के प्रति लोगों को जागरुक करते हुए बताया कि कोरोना ने जो नया रूप बदला है। वायरस का यह नया रूप पिछले वायरस की तुलना में ज्यादा तेजी से फैल रहा है। शुरुआत में कुछ लोग मान रहे थे कि यह वायरस ज्यादा खतरनाक नहीं है लेकिन गंभीर मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसलिए वायरस को खतरनाक मानना जरूरी है। इस वायरस में यह संभव है कि कोरोना जैसे लक्षण हों और आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट निगिटिव आए। ऐसे में परेशान होने की जगह संयम रख आरटीपीसीआर टेस्ट दोबारा अवश्य कराएं। दूसरे व तीसरे टेस्ट में स्थिति साफ हो जाएगी। क्योंकि जब भी कोई वायरस शरीर में जाता है तो उसे पूरी तरह फैलने में करीब एक सप्ताह लगता है। इस बीच टेस्ट कराने पर रिपोर्ट कई बार निगेटिव आती है। दूसरी वजह यह भी हो सकती है कि म्यूटेशन के कारण आरटीपीसीआर में वायरस पकड़ में न आए। इसलिए दोबारा टेस्ट कराना चाहिए।
बुजुर्गों के लिए ज्यादा खतरनाक
डॉ. जितेंद्र कुमार ने बताया कि कुछ युवा घर में बुजुर्गों के होने पर भी कोरोना को बहुत हल्के में ले रहे हैं। उन्हें लगता है कि उनकी इम्युनिटी पावर अच्छी है। उन्हें लगता है यह खांसी, जुखाम और बुखार की तरह है। हल्का इंफेक्शन होने पर वह मार्केट में घूमते रहते हैं। ऐसे में बड़ी बात यह है कि उन युवाओं की इम्युनिटी जरूर अच्छी है लेकिन घर में बुजुर्ग नाना-नानी, दादा-दादी जो कई प्रकार की बीमारियों से जूझ रहे हैं अगर उनमें वायरस चला गया तो उनकी जान का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसलिए घर में बुजुर्गों से दूरी बनाए रखें। महामारी बढ़ने की एक वजह वायरस के फैलने की क्षमता और दूसरी वजह पिछले एक साल के लॉकडाउन में लोगों के सब्र का बांध टूट गया। अब कुछ लोग मजबूर हो गए। जिनकी आजीविका एक साल में खत्म हो गई। अब उन्हें लग रहा है कि भूखे मरने से अच्छा रिस्क ले लें। यही वजह कोरोना को बढ़ा रही है। इंफेक्शन इतना बढ़ गया है कि अस्पतालों में जगह मिलना मुश्किल हो गया है। पहली बार लॉकडाउन के दौरान स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने का सरकार को समय मिल गया था। इसलिए सरकार को सख्ती दिखानी की जरूरत है। जिससे लोगों का जीवन बच सके। लोगों को घर पर संयम रख सुरक्षित रहने की जरूरत है। तभी बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है।