अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सरताज बासवाना की कोर्ट में फैसला सुनाए जाने के खौफ से निकिता के हत्यारों के चेहरे लटके हुए थे। हत्याकांड को अंजाम देने के लिए मुख्य आरोपी तौसीफ को हथियार उपलब्ध कराने वाला अजहरुद्दीन इस कदर डरा हुआ था कि फैसला सुनाने से पहले ही वह कोर्ट रूम के अंदर गिरकर अचेत हो गया। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उसे पानी पिलाया और संभाला। इस दृश्य को देख कोर्ट भी दो मिनट के लिए ठहर गई।
इसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों को बुलाकर महज दो मिनट के अंदर ही तीनों आरोपियाें पर अपना फैसला सुना दिया। इस केस की सुनवाई कोर्ट में तीन माह 22 दिन तक चली। इसमें पीड़ित पक्ष की ओर से कुल 55 और बचाव पक्ष की ओर से दो गवाहों की गवाही हुई। कोर्ट ने सजा सुनाने का दिन अब शुक्रवार तय किया है। गुरुवार सुबह से ही कोर्ट में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। किसी भी हालात से निपटने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की तैनाती की गई थी। कोर्ट का फैसला जानने के लिए बड़ी संख्या में वकील कोर्ट रूम के बाहर जमा थे।
बंद कमरे में सुनाया फैसला
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सरताज बासवाना की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने बुधवार को चार बजे फैसला सुनाने का समय दिया था। न्यायाधीश बासवाना चार बजे कोर्ट में बैठ गए और पांच मिनट बाद आरोपियों को बुलवा लिया। इनके अंदर घुसते की कोर्ट रूम का दरवाजा बंद कर दिया गया। अंदर घुसते ही आरोपी अजहरुद्दीन (25) चक्कर खाकर गिर गया। पुलिसकर्मियों ने उसे संभाला और पानी पिलाकर पीठ सहलाई, तब उसे होश आया। कोर्ट का फैसला सुनाने से पहले सफेद टीशर्ट पहने तौसीफ और चेकदार शर्ट पहने रेहान के चेहरे लटके हुए थे।
26 को हत्या 26 को ही मिलेगी सजा
इसे संयोग ही कहेंगे कि हत्याकांड से ठीक पांच महीने बाद दोनों हत्यारों को सजा सुनाई जाएगी। 26 अक्टूबर 2020 को निकिता की हत्या की गई थी। तमाम जांच पड़ताल और सुनवाई के बाद ठीक पांच महीने यानी 26 मार्च को ही सजा सुनाई जाएगी।
2 मिनट में सुना दिया फैसला
अजहरुद्दीन को कोर्ट के अंदर गिरता देख कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों पास बुलाया और अपना फैसला 2 मिनट में ही सुना दिया। कोर्ट ने कहाकि अजहरुद्दीन के खिलाफ पर्याप्त सबूत न होने से उसे बरी किया जाता है। इतना सुनते ही वह उठ खड़ा हो गया। जबकि तौसीफ और रेहान दोनों को इस हत्याकांड में बराबर का भागीदार मानते हुए दोषी करार दे दिया गया। इस चर्चित हत्याकांड में पीड़ित पक्ष की ओर से सरकारी वकील के साथ निकिता के मामा एडवोकेट एदल सिंह रावत पैरवी कर रहे थे। जबकि बचाव पक्ष की ओर से पीएल गोयल, अनीस खान एवं अनवर खान ने अपना पक्ष रखा।
तभी मिलेगी शांति जब फांसी होगी
निकिता के पिता मूलचंद ताेमर ने दैनिक भास्कर से कहाकि उनके परिवार को शांति तभी मिलेगी जब हत्याराें को फांसी की सजा मिलेगी। उनका कहना है कि 5 माह का वक्त निकिता को न्याय दिलाने में गुजर गया। लोगों के कमेंट झेले, दबाव में रहे। अब भी जीवन डर-डर कर चल रहा है। कोर्ट का फैसला सुनने के लिए सुबह 11 बजे से ही निकिता के पिता, भाई नितिन तोमर, मामा हाकिम सिंह कोर्ट में मौजूद थे। जबकि तौसीफ की ओर से उनके पिता जाकिर हुसैन, मां असमीना और परिवार के कई लोग कोर्ट पहुंचे थे। तौसीफ के वकील अनीस खान ने कहाकि वह फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। जजमेंट आने और उसका अध्ययन करने के बाद आगे कोर्ट का रुख करेंगे।
तीन माह 22 दिन तक चली सुनवाई
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर इस केस की सुनवाई तीन माह 22 दिन लगातार चली। एक दिसंबर 2020 को पहली गवाही कराई गई। इसमें घटना के चश्मदीद निकिता के चचेरे भाई तरुण तोमर और सहेली निकिता शर्मा शामिल हुए थे। पीड़ित पक्ष की ओर 55 लोगों ने गवाही दी। इसमें परिवार के सदस्यों, कॉलेज के प्रिंसिपल समेत कई पुलिसकर्मी शामिल हुए। बचाव पक्ष ने दो दिन में अपने दो गवाह पेश किए और उनके बयान दर्ज कराए। 23 मार्च 2021 को दोनों पक्षों की ओर से गवाही पूरी हो गई थी।