पलवल :अतुल्य लोकतंत्र /मुकेश बघेल •
सिविल सर्जन डा. ब्रह्मदीप ने बताया कि गत दिवस स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जिला जेल में सभी कैदियों व वहां पर उपस्थित सभी लोगों को एड्स के बारे में जानकारी दी। उप सिविल सर्जन कम एड्स की नोडल अधिकारी डा. रेखा सिंह ने उपस्थिति को एड्स के बारे में जागरूक करते हुए बताया कि इस विषय में स्वास्थ्य विभाग लगातार कार्य कर रहा है एवं 15 दिसम्बर तक जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। एड्स-डे पर विश्व में इस संबंध में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। डा. रेखा सिंह ने बताया कि एड्स के बारे में सबसे ज्यादा जानना जरूरी है कि एड्स एक इस प्रकार की बीमारी है, जो एचआईवी नाम के वायरस से फैलती है। डा. ब्रह्मदीप ने बताया कि यह एक ऐसा वायरस है, जो हमारे शरीर के अंदर रोगों से लडऩे की क्षमता को कम कर देता है और शरीर में इम्युनिटी कम होने की वजह से वह वैक्टिरिया अथवा वायरस के कारण हमारे शरीर में अनेकों रोग होने लगते हैं। इसीलिए इम्युनिटी कम होने को ही एड्स कहते है। सिविल सर्जन ने बताया कि ऐसा पाया गया है कि एड्स के रोगी से लोगों को यह लगता है कि कहीं इन्हें छूने से, बात करने से, साथ बैठने से, साथ खाना-खाने से कहीं हमे तो एड्स नहीं हो जाएगा। ऐसा नहीं है। लोगों की इस सोच की वजह से एड्स के रोगी प्रताडि़त महसूस करते हैं। इसी छुआछूत को खत्म करने के लिए इस बार का एड्स प्रोग्राम रखा जा रहा है।
सिविल सर्जन ने कहा कि एड्स के सन्दर्भ में सबसे ज्यादा जरूरी यह जानना है कि एड्स किस प्रकार से फैलता है। आमतौर से इन्फेक्टेड निडल से (एड्स के मरीज के इंजेक्शन से ही दूसरे मरीज को इंजेक्शन लगा देने से), गलत संबध बनाने से इसका खतरा बनता है, अगर मां को एड्स की बीमारी है, तो बच्चे को भी इसका खतरा बना रहता है, अगर कोई एड्स वाला व्यक्ति अपना ब्लड डोनेट करे, तो जिसको वह रक्त चढ़ेगा, उसको एड्स हो सकता है। इसीलिए लगातार जागरूकता कार्यक्रम किए जाते हैं। किसी भी लैब के अंदर अगर ब्लड लिया जाता है तो उसका एचआईवी टेस्ट अवश्य किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा सभी गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच की जाती है, ताकि किसी भी महिला को अगर एचआईवी हो, तो उसका जल्द से जल्द पता लग पाए। इसकी सुरक्षा के बारे में लगातार कार्यक्रम किए जाते हैं और नए युवाओं को इस संबंध में ज्यादा से ज्यादा बताया जाता है। सभी को जागरूकता कार्यक्रम के दौरान यही बताया जाता है कि इंजेक्शन लगवाने से पहले मरीज भी इस बात का ध्यान दें कि कहीं वह सिरिंज पहले से इस्तेमाल तो नही हो रखी हैं। डा. ब्रह्मदीप ने बताया कि हमेशा नई सिरिंज के साथ ही इंजेक्शन लगवाना चाहिए।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया गया जिला पलवल के जेल में एड्स जागरूकता कार्यक्रम : डा. ब्रह्मदीप
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