हरियाणा सरकार ने एमबीबीएस बॉन्ड पॉलिसी में कई संशोधन कर इसे नए सिरे से विद्यार्थियों के सामने पेश किया है। बॉन्ड अवधि सात साल से घटाकर पांच साल और राशि 40 लाख से घटाकर 30 लाख निर्धारित की है। एमबीबीएस की डिग्री करने वालों को एक साल के अंदर अनुबंध के आधार पर नौकरी देने की गारंटी दी है।
सरकार का दावा है कि अधिकतर विद्यार्थियों ने संशोधित प्रस्ताव पर सहमति जताई है और हड़ताल खत्म कर देनी चाहिए। उधर, विद्यार्थियों का कहना है कि अभी नए प्रस्ताव पर कोई सहमति नहीं दी है। प्रतिनिधिमंडल रोहतक में धरने पर बैठे विद्यार्थियों से सरकार के संशोधित प्रस्ताव पर सुझाव मांगेगा। इसके बाद ही आंदोलन खत्म करने या जारी रखने का निर्णय लिया जाएगा।
बुधवार को हरियाणा निवास में मुख्यमंत्री मनोहर लाल और एमबीबीएस विद्यार्थियों की पांच घंटे तक बैठक चली। दोपबर बाद तीन बजे से रात आठ बजे तक हुई दो दौर की बैठक में पॉलिसी के तमाम बिंदुओं पर मंथन किया गया। पॉलिसी में किए संशोधन के बारे में विद्यार्थियों को अवगत कराया। बैठक से बाहर आकर रोहतक पीजीआई की रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रधान डॉ. अंकित गुलिया ने बताया कि फिलहाल आंदोलन जारी है। हर हाल में नौकरी की गारंटी चाहिए और जिसे नहीं मिलेगी उसे बॉन्ड से मुक्त किया जाए।
सरकार ने ये किए बदलाव
- सात साल के बॉन्ड एग्रीमेंट की समय सीमा सात साल से घटाकर पांच वर्ष की
- इस पांच वर्ष में पीजी की पढ़ाई को भी शामिल किया है, उनके लिए समय सीमा दो साल होगी
- बॉन्ड राशि 40 लाख से घटाकर 30 लाख की। इसमें से संस्थान की फीस से छूट रहेगी
- बॉन्ड राशि में लड़कियों के लिए इसमें 10 फीसदी की छूट दी गई है
- एमबीबीएस कर रहे किसी छात्र के साथ कोई अनहोनी होने पर परिवार बॉन्ड राशि भरने के लिए बाध्य नहीं होगा
विद्यार्थियों की ये हैं मांगें
- डिग्री पूरा होने के दो माह के अंदर नौकरी दी जाए
- बॉन्ड अवधि एक साल की हो
- बॉन्ड तो तोड़ने वाले के लिए राशि 20 लाख रुपये हो
- नौकरी नहीं मिलने वालों को बॉन्ड से मुक्त किया जाए
यहां फंसा हुआ है पेंच
सरकार ने पढ़ाई के बाद एक साल के भीतर एमबीबीएस छात्र को सरकारी नौकरी (अनुबंधित) दी जाएगी। इसके साथ ही यदि कोई छात्र पढ़ाई पूरी करने के बाद प्राइवेट नौकरी करता है और उसका वेतन सरकार द्वारा मेडिकल ऑफिसर को दिए जा रहे वेतन से कम है तो उसे तब तक बॉन्ड की राशि नहीं देनी होगी जब तक उसका वेतन मेडिकल ऑफिसर के वेतन के बराबर या उससे ज्यादा नहीं होता। ऐसी स्थिति में सरकार उसे अनुबंधित नौकरी ऑफर करेगी। वहीं, विद्यार्थी इस मांग पर अड़े हैं कि सरकार सभी विद्यार्थियों को दो माह के अंदर सरकारी या कांट्रेक्ट पर नौकरी दे। जिनको सरकार नौकरी नहीं दे पाती है, उनको बॉन्ड से मुक्त किया जाए लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही है।