New Delhi (ATULYA LOKTANTRA):केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा ‘स्वराज से नव-भारत तक भारत के विचारों का पुनरावलोकन’ विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। तीन दिवसीय इस संगोष्ठी का आयोजन दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग ने किया है। उद्घाटन समारोह में केन्द्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री अमित शाह ने कहा कि परिवर्तन के विचार, नीति और कल्पना का वाहक विश्वविद्यालय और विद्यार्थी ही हो सकते हैं और जब भी युग बदलता होता है तो उस परिवर्तन का वाहक हमेशा विश्वविद्यालय ही होता है। उन्होंने कहा कि किसी भी संस्था के लिए सौ साल के बाद भी अपनी प्रासंगिकता बनाए रखना अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि होती है। आज देश में इतने सारे विश्विद्यालयों के बीच भी दिल्ली विश्वविद्यालय ने ना केवल अपनी प्रासंगिकता बनाए रखी है बल्कि अपने नेतृत्व के गुण को भी संजोकर रखा है। श्री शाह ने विश्वास व्यक्त किया कि देश में 2014 से परिवर्तन का जो युग शुरू हुआ है इसकी वाहक भी दिल्ली यूनिवर्सिटी बने। अंग्रेज़ों ने वर्ष 1922 में देश की राजधानी बदल कर दिल्ली यूनिवर्सिटी की स्थापना की और कई ऐतिहासिक प्रसंगों का दिल्ली विश्वविद्यालय साक्षी रहा है। 1975 में देश के लोकतंत्र को बचाने के आंदोलन में भी दिल्ली यूनिवर्सिटी का बहुत बड़ा योगदान रहा। देश के अनेक आंदोलनों का साक्षी और उन्हें परिणाम तक पहुंचाने का माध्यम दिल्ली विश्वविद्यालय रहा है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज यहां 3 दिन की संगोष्ठी की शुरुआत हो रही है और स्वराज से नवभारत तक की कल्पना और इस विचार का पुनरावलोकन। यह इसके लिए बहुत सही समय है और इस विषय पर विचार-विमर्श होना चाहिए