New Delhi/Atulya Loktantra : कोरोना वायरस की महामारी ने पूरी दुनिया को परेशान कर रखा है. भारत में कोरोना संक्रमण के अभी तक 21700 मामले सामने आए हैं जबकि 686 लोगों की मौत हो चुकी है. देश के बड़े शहर कोरोना वायरस के सबसे बड़े हॉटस्पॉट बनकर उभरे हैं, लेकिन जिस तेजी से संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, उससे गांव में भी खतरे की संभावना बढ़ गई है. ऐसे में कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में गांव के मुखिया और सरपंच अपनी अहम भूमिका अदा कर सकते हैं. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भर के पंचायत प्रतिनिधियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद करेंगे.
कोरोना संकट की घड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समाज के अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों से सीधे संपर्क कर रहे हैं. इसी कड़ी में 24 अप्रैल को पीएम मोदी देश भर के मुखिया और सरपंचों से बात करेंगे. माना जा रहा है कि पीएम मोदी ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों को कोरोना वायरस को लेकर सरकार द्वारा किए जा रहे उपायों की जानकारी दे सकते हैं. 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस भी है, इस वजह से पीएम मोदी का यह संवाद काफी अहम माना जा रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी को पंचायती राज दिवस के तहत झांसी में ग्राम पंचायत के कार्यक्रम में शामिल होना था, लेकिन कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से सभी कार्यक्रमों का तौर-तरीका बदल गया है. वहीं, लॉकडाउन 2.0 अगले महीने की 3 तारीख को हटेगा या इसे जारी रखा जाएगा, इसे लेकर 27 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में चर्चा करेंगे.
हालांकि, कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते उत्तर प्रदेश के लाखों मजदूर दिल्ली, गुजरात, मुंबई सहित देश के तमाम राज्यों में फंसे हुए हैं. इस दौरान मजूदरों के पास न तो रोजगार है और न ही खाने-पीने की कोई व्यवस्था है. इसी वजह से मजदूर लगातार अपने घरों को वापस जाने के लिए परेशान हैं. ऐसे में लॉकडाउन खुलता है तो सबसे पहले प्रवासी मजदूर अपने घरों को तेजी से लौटेंगे.
देश के शहरों से मजदूरों की गांव वापसी होने पर कोरोना संक्रमण के खतरों की संभावना ग्रामीण स्तर पर बढ़ सकती है. ऐसे में कोरोना संक्रमण से बचने और सरकारी दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन कराने में पंचायत अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं. इतना ही नहीं, शहरों से वापस गांव पहुंचने वाले मजदूरों की पहचान करना और उन्हें क्वारनटीन में रखने के लिए तैयार करने के लिए गांव के मुखिया और सरपंच ही अहम रोल अदा कर सकते हैं.
बता दें कि देश में कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई में कई गांव मॉडल बनकर उभरे हैं. इन गांव में सरकारी दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन हो रहा है. गरीबों को मुफ्त में खाना खिलाया जा रहा है तो कहीं घर-घर को सैनिटाइज किया गया है. गांव के प्रधानों ने अपने स्तर से हर परिवार को मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध कराया है. रोजी-रोजगार पर असर न पड़े, इसके लिए मनरेगा का काम भी शुरू हो गया है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने और कोरोना से बचने के लिए आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लोगों को जागरुक कर रहे हैं.
मिसाल के तौर पर राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की मक्कासर ग्राम पंचायत में हर दिन साफ-सफाई अभियान चलता है. सड़कों पर सोडियम हाइड्रोक्लोराइड का छिड़काव होता है. यहां गांव के हर घर में मास्क और सैनिटाइजर दिया गया है. ऐसे ही ओडिशा में कटक, भुवनेश्वर और भद्रक जिले के कई गांवों में लॉकडाउन के दौरान गरीबों को हर दिन खाना उपलब्ध कराया जा रहा है. गांव पंचायतों ने तो साफ-सफाई के लिए अग्निशमन विभाग का सहयोग लिया है. गांवों में सब्जी किसानों की सहूलियत के लिए स्थानीय बाजार खुले हैं.
ऐसे ही गोवा के सोनल गांव के बाहर यहां के लोगों ने एक लकड़ी का दरवाजा लगा रखा है. इस दरवाजे पर 24 घंटे युवा पहरा देते हैं. गांव से किसी को बाहर निकलना न पड़े, इसके लिए सभी जरूरी सामान उपलब्ध कराए जा रहे हैं. तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले के वडक्कीपलायम गांव में घर-घर कीटनाशक का छिड़काव पंचायत के सहयोग से किया गया है. कोरोना संक्रमण के खिलाफ जंग में मिसाल बने गांव को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गांव के मुखिया और सरपंचों से संवाद कर उन्हें इस मुहिम में शामिल होने के लिए अपील कर सकते हैं.