New Delhi/Atulya Loktantra : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की गिनती दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में होती है. प्रदूषण कम करने के लिए सरकारी मशीनरी ने करोड़ों रुपये बहाए, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. इन दिनों देश में लॉकडाउन है. रेल, बस और विमान सेवाओं के साथ ही कंपनियों में भी काम बंद है. ऐसे में लॉकडाउन का असर दिल्ली की आबोहवा पर पड़ता दिख रहा है.
दिल्ली की हवा इन दिनों यूरोपीय देशों की तरह साफ हो गई है. एयर क्वालिटी इंडेक्स से लेकर Pm10 और PM 2.5 तक फिलहाल इस स्तर पर हैं, जितना यूरोपीय देशों में ही देखने को मिलता है. यह हवा उतनी साफ है, जितनी 10 साल पहले कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान देखने को मिली थी. लॉकडाउन ने दिल्ली की हवा को उतना साफ कर दिया है, जितना सरकारी मशीनरी करोड़ों रुपये खर्च करके भी नहीं कर पाई.
इतनी स्वच्छ हवा के लिए दिल्ली को 10 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा. दिल्ली की हवा इतनी स्वच्छ हो सकती है, इसकी कल्पना न यहां रहने वाले लोगों ने की थी और ना ही सरकारों या अथॉरिटी ने. दिल्ली-एनसीआर की हवा उतनी स्वच्छ हो गई है, जितनी अमेरिका में रहती है. दिल्ली में PM 2.5 फिलहाल 30 के आसपास है. 2010 में जब दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स हुए थे, तब मॉनसून का वक्त था. स्कूल कॉलेज और अन्य संस्थानों को बंद कर दिया गया था. उस वक्त पीएम 2.5 30 के आसपास था.
पीएम 10 भी 50 के आसपास है. यानी सब कुछ एक्सीलेंट कैटेगरी में है. आम दिनों में पिछले कई सालों से अप्रैल में पीएम 2.5 300 के आसपास रहता था, जबकि पीएम 10 भी 100 से ऊपर. पर्यावरण से जुड़े मामलों के वकील गौरव बंसल का कहना है कि यह सब इसलिए संभव हुआ है, क्योंकि लॉकडाउन में सब लोग घरों के अंदर बंद रहने को मजबूर हैं.
मशहूर पर्यावरणविद मनोज मिश्रा का कहना है कि हवा तो हवा, जल भी शुद्ध हो गया है. यमुना और हिंडन नदियां खुद साफ हो गई हैं. कोरोना की दहशत के बाद लॉकडाउन ने काफी कुछ बदल दिया है. दिल्ली की सड़कें जो अक्सर ट्रैफिक जाम से घंटों भरी रहती थीं, वह सुनसान और वीरान हैं. न मेट्रो चल रही है, ना ही रेल. सारी इंडस्ट्रियल यूनिट भी बंद पड़ी हैं. यानी न ध्वनि या वायु प्रदूषण है और ना ही जल प्रदूषण. बीते महीने मार्च की बात करें तो दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) तकरीबन 11 दिन 0 से 100 के बीच रहा है. वहीं, 2018 और 21019 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब मार्च के महीने में एयर क्वालिटी इंडेक्स 100 से नीचे पहुंचा हो.