New Delhi/Atulya Loktantra : दिल्ली में पानी के सैंपल का विवाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. दरअसल, आरओ बनाने वाली कंपनियों के संगठन ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के प्रतिबंध के खिलाफ अर्जी दी है. इस अर्जी के मुताबिक, दिल्ली के कई हिस्सों में आरओ फिल्टर के उपयोग पर प्रतिबंध है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई कर सकता है.
दिल्ली में आरओ फिल्टर के उपयोग पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के प्रतिबंध के खिलाफ वाटर क्वालिटी इंडिया एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. उनका कहना है कि राष्ट्रीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की रिपोर्ट में दिल्ली का पानी पीने लायक नहीं है. ऐसे में इस प्रतिबंध को हटाया जाना चाहिए.
AAP नेता संजय सिंह ने उठाए सवाल
इस बीच आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने ट्वीट करके आरोप लगाया. उनका कहना है, ‘मई 2019 में एनजीटी ने 500 से कम टीडीएस वाले इलाकों में आरओ पर प्रतिबंध लगा दिया था. एनजीटी के आदेश को आरओ कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. शुक्रवार को मामले में सुनवाई होगी. उससे पहले बीआईएस ने रिपोर्ट जारी की, जो राम विलास पासवान के मंत्रालय के अधीन आता है. कोर्ट में सुनवाई से एक हफ्ते रिपोर्ट जारी करके दहशत का माहौल पैदा किया गया है. संजय सिंह ने पूछा कि क्या राम विलास पासवान के मंत्रालय की ओर से जारी की गई रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में आरओ कंपनियों की याचिका पर सुनवाई में कोई कनेक्शन है?
क्या है एनजीटी का आदेश
एनजीटी ने 20 मई को दिल्ली के उन स्थानों पर आरओ प्रतिबंध लगाने के लिए कहा है जहां पानी में कुल विलय ठोस पदार्थ (टीडीएस) 500 एमजी प्रति लीटर से कम है. साथ ही जनता को बिना खनिज पदार्थ वाले पानी के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए भी कहा.एनजीटी ने सरकार से यह भी कहा है कि देशभर में जहां भी आरओ की अनुमति दी गई है वहां 60 प्रतिशत से ज्यादा पानी पुन: इस्तेमाल किया जाना अनिवार्य हो.
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था, ‘पर्यावरण एवं वन मंत्रालय उन स्थानों पर आरओ के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने वाली उचित अधिसूचना जारी कर सकता है जहां पानी में टीडीएस 500 एमजी प्रति लीटर से कम है और जहां भी आरओ की अनुमति है वहां यह सुनिश्चित किया जाए कि 60 प्रतिशत से अधिक पानी को पुन: इस्तेमाल में लाया जाए.’