New Delhi/Atulya Loktantra : दिल्ली पुलिस तबलीगी जमात के मुखिया मौलाना साद की तलाश कर रही है. इस बीच मौलाना साद के करीबी और राजदार मौलाना मुफ्ती शहजाद से बात की है. संवाददाता से फोन पर बातचीत में मुफ्ती शहजाद ने बताया कि 1 मार्च से 31 मार्च के बीच वो उसी मरकज की बिल्डिंग में था, जहां देश के अलग-अलग हिस्सों से और दुनिया भर से आए जमाती इकट्ठा हुए थे. बता दें कि दिल्ली पुलिस की एफआईआर में मौलाना साद के साथ मौलाना मुफ्ती शहजाद भी आरोपी है.
मौलाना मुफ्ती शहजाद ने कहा कि वो और उसके साथ मरकज के 160 और लोग क्वारनटीन हैं. उन्होंने कहा कि मौलाना साद दिल्ली में ही हैं, लेकिन कहां हैं कि ये जानकारी उसे नहीं है.
मौलाना मुफ्ती शहजाद के मुताबिक वो जाकिर नगर में रहते हैं और तकरीबन रोजाना मरकज आते रहते हैं. मौलाना मुफ्ती शहजाद ने कहा कि हम तो कार सेवक हैं, जैसे सब आते हैं वैसे हम भी मार्च और अप्रैल में आते हैं, कार सेवक हैं खिदमत करने आ जाते हैं.
मौलाना मुफ्ती शहजाद ने कहा, “हम मरकज़ में थे ना उस वक्त…मैं हर साल मार्च और अप्रैल में वहीं रहता हूं…मैं मरकज में 1 मार्च को गया था…अभी यहां क्वारनटीन में हूं. मरकज़ से 31 मार्च को निकला और अब यहां क्वारनटीन में हूं.
मौलाना मुफ्ती शहजाद से बातचीत का पूरा ब्यौरा यहां पढ़ें-
सवाल- 1 मार्च से 31 मार्च तक उस बिल्डिंग में कितने लोग थे.
जवाब- मैं इसका अंदाजा तो नहीं बता सकता, बिल्डिंग में अलग अलग जगहें हैं, अलग-अलग बहुत बड़ा मसला है मुझे अंदाजा नहीं इसका.
सवाल- कितने होंगे मरकज में उस वक्त. हजार लोग…2 हजार लोग?
जवाब- हां इतने तो रहते ही हैं.
हम यहां पर 160 लोग हैं, इन्होंने हमारे टेस्ट किए, 1 हफ्ते पहले कहा कि 30 पॉजिटिव हैं. यहां की बिल्डिंग में अलग रख दिया है…दूसरी इसके पीछे और एक बिल्डिंग है उसमें.
ऐसा हुआ लॉकडाउन हुआ 23 तारीख को. हम 23 तारीख को जो लोग मरकज में थे. उनमें से तमिलनाडु के लोग भी थे दूर के. उन्हें घर जाना था. उनकी सवारियां नहीं थीं. कुछ ने तो हमसे कहा कि कुछ सवारियों का इंतजाम कर दो, तो हम दिल्ली के ही हैं ना. हमने कहा कि यहां सवारियां तो बंद हैं तो हम थाने गए SHO साहब से इजाजत लेने कि भाई कुछ गाड़ियों की अगर हमें परमिशन मिल जाए तो ये लोग यहां फंस गए हैं ये अपने घरों को चले जाएं. SHO साहब ने बात कुछ अच्छी भी की, नरमी से और कुछ गरमी से भी की.
SHO साहब ने कहा तुम्हें पता नहीं है यहां रहना नहीं चाहिए. मैंने कहा ये तो फंस गए हैं यहां पर. SHO साहब ने कहा इनको फौरन निकालो. हमने कहा जिस तरह से आप कहें हम उस तरह से इन्हें निकाल देंगे. आप बताइए हम किस तरह निकालें. आप कहें रोड पर निकालने के लिए तो हम रोड पर निकाल कर इन्हें खड़ा कर देंगे हमारा तो कोई मसला नहीं है. हम लिस्ट भी ले गए थे कुछ गाड़ियों की. 20 बड़ी गाड़ियों की लिस्ट लेके गए थे.
SHO साहब ने कहा हमें इसकी कोई अथॉरिटी नहीं है. हमने SDM का नम्बर मांगा तो वो नाराज हुए कि तुम्हारे पास नम्बर नहीं है. खैर नम्बर दिया SDM का. SDM ने कहा सुबह आना. यानी 23 तारीख को कहा कि सुबह आना. हमने ये भी कहा कि SHO साहब के कहा कि सबको यहां से निकाल दीजिए. तो SDM साहब ने कहा नहीं कल तक इनको रखो अपने पास वहीं अंदर.
सवाल- मौलाना साद साहब कब तक थे उस बिल्डिंग में.
जवाब- मौलाना साहब वहां से शायद 22 या 23 को चले गए थे
सवाल- और थे वहीं पे ना…
जवाब- उस से पहले थे, मैं सही डेट बता दूंगा देख के…SDM साहब ने मना कर दिया कि नहीं जाना यहीं रहो…SHO साहब ने भी कहा यहीं रहो…वहीं रहे एक हफ्ता…एक हफ्ता अंदर ही रहे हम सब…
हमारी जिम्मेदारी तो ये थी कि कोई जमात जा रही है…आई है, भाई उस से बात कर लो कि कहां रहें, कैसे रहें…कहां जा रहे हो…जा कर किस तरह से तुम्हें कुरान याद करनी है..किस तरह से काम करना है.
हम हर 2-2 माह पर बदलते रहते हैं….हम लोग वहां एम्प्लाई नहीं हैं कि कोई पैसा लेता हूं.
सवाल- मौलाना साद साहब से बाद में जब क्वारन्टीन में गए थे आपकी बात हुई.
जवाब- नहीं उनके लड़कों से बीच में बात हुई…देखिए हमसे 10 दिन पहले या उस से कम ज्यादा…क्राइम ब्रांच के कोई हेड थे…मैं नाम तो नहीं जानता हूं उनका…वो आए थे मैंने उनको पूरी जो मालूमात मांगी मैंने उन्हें दे दी.
सवाल- मौलाना साद से आपकी आखिर बार बात कब हुई.
जवाब- उनसे फोन और तो बात नहीं हुई…उनके बेटों से बात हुई थी…सईद से.
सवाल- तो अभी कहां हैं मौलाना साहब जाकिर नगर में ही हैं ना.
जवाब- मुझे इतना पता है वो दिल्ली में ही हैं लेकिन ये नहीं पता है कि कहां पर हैं…दिल्ली में हैं ये जानकारी है…कहां ये नहीं पता.
सवाल- जहां अभी आप क्वारन्टीन में हो वहां मरकज के कितने लोग हैं.
जवाब- यहां पर तो सब मरकज से आए हुए लोग ही हैं…करीब 160 लोग.
सवाल- आप से क्राइम ब्रांच ने और क्या क्या पूछताछ की.
जवाब- वो तो सारी मालूमात कर रहे थे…मेरे बारे में मेरी फैमिली के बारे में…कहां रहते हो कब से मरकज आ रहे हो. मरकज तो हम मतलब जुम्मे रात को तो हमेशा जाते ही हैं…सालों से आ रहे हैं…ये सब मालूमात की…जो भी मरकज आता है वो खुद अपना पैसा लगा के आता है…जो जमात में जाता है वो अपना पैसा खुद खर्च करता है सारा.