नई दिल्ली/अतुल्यलोकतंत्र: चुनावी हार के कारण कांग्रेस पहले से मुसीबत में थी, मगर राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद संकट और गहरा गया है. मुख्य विरोधी बीजेपी जहां लोकसभा चुनाव में बंपर जीत के बाद भी लगातार पार्टी के विस्तार में जुटी है. अध्यक्ष और कार्यवाहक अध्यक्ष जैसे डबल इंजन वाले नेतृत्व में 20 करोड़ सदस्यों को जोड़ने मैदान में उतर चुकी है. वहीं कांग्रेस कैंप में सन्नाटा है. कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष तो छोड़िए, जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, वहां प्रदेश नेतृत्व को लेकर भी उहापोह है. पार्टी में जारी इस संकट का असर कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों पर भी पड़ा है, जहां गठबंधन से कांग्रेस की सरकार चल रही है. इसे कांग्रेस में नेतृत्व के संकट का साइड इफेक्ट माना जा रहा है.
हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं. महाराष्ट्र में कांग्रेस के पास प्रदेश अध्यक्ष ही नहीं है. हाल में अशोक चव्हाण ने लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था. हरियाणा और झारखंड में पार्टी आंतरिक कलह से जूझ रही है. हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर ने बिना पार्टी नेतृत्व की मंजूरी के ही चुनाव योजना और प्रबंधन कमेटी बना दी.
जिस पर प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने नाराजगी जताते हुए नेतृत्व परिवर्तन के संकेत दिए हैं. इसी तरह झारखंड में संगठन के लिहाज से उपाध्यक्ष और महासचिव जैसे अहम पद कई महीने से खाली चल रहे हैं. वहीं प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार को पार्टी के अंदर ही विरोध का सामना करना पड़ रहा है. पार्टी पदाधिकारियों का एक धड़ा लगातार दिल्ली में उन्हें हटाने के लिए कैंप किए हुए है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि महज कुछ महीने बाद में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर इन राज्यों में कांग्रेस की तैयारियां कैसी हैं.