New Delhi/Atulya Loktantra : नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शनों के पीछे आतंकी और उग्रवादी संगठनों की भूमिका सामने आने लगी है। असम में हुए हंगामे के पीछे प्रतिबंधित आतंकी संगठन उल्फा का हाथ होने के सबूत मिले हैं। खुफिया एजेंसियों ने खुलासा किया है कि आतंकवादी संगठन उल्फा ने प्रदर्शनकारियों को हथियार भी दिए थे। खुफिया एजेंसियों के दस्तावेजों के मुताबिक प्रदर्शनकारियों को 60 फीसदी हथियार दिए जाने की बात कही है। सरकार को शक है कि इस विरोध के पीछे अनेक ऐसे असामाजिक संगठन भी सक्रिय हैं जिनके ऊपर सरकार की कड़ी निगाहें और अनेक लोग देशद्रोही गतिविधियों में गिरफ्तार होकर जेलों में हैं।
रिपोर्ट के अनुसार उल्फा के एक आतंकी ने डिप्टी चैयरमैन प्रदीप गोगोई को आंदोलनकारियों को हथियार मुहैया कराने की बात भी कही। वह जानता था कि आतंकी संगठन के पास मौजूद हथियारों का 60 फीसदी ग्रामीणों के बीच बांटना सही रहेगा या नहीं। यही नहीं, प्रदीप गोगोई 11 दिसंबर को असम के लाकुवा, सिवसागर में अपने सहयोगियों के साथ विरोध प्रदर्शन में शामिल भी हुआ था।
वहीं विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में कथित भूमिका को लेकर इस्लामी संगठन पीएफआई की असम इकाई के प्रमुख अमीनुल हक और एक अन्य पदाधिकारी को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने बताया कि हक को शहर के हटीगांव इलाका स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया गया। साथ ही, वहां से एक कंप्यूटर, दो लैपटॉप और दस्तावेज भी जब्त किए गए।
उन्होंने बताया कि पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के बक्सा जिला प्रेस सचिव मुजामिल हक को भी गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, पुलिस ने उनके खिलाफ दर्ज मामले का ब्योरा साझा करने से इनकार किया।
गौरतलब है कि राज्य के वित्त मंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने मंगलवार को आरोप लगाया था कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं के एक हिस्से, शहरी नक्सलियों और पीएफआई के बीच एक घातक सांठगांठ रही होगी, जिन्होंने 11 दिसंबर के प्रदर्शन के दौरान राज्य सचिवालय जलाने की कोशिश की थी।