New Delhi/Atulya Loktantra : फेसबुक के स्वामित्व वाले सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म वॉट्सऐप ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। इसमें बताया गया है कि लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान भारत के कई पत्रकार व मानवाधिकार एक्टिविस्ट पर नजर रखी गई। इसके लिए इजरायली स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया गया। जानकारी के मुताबिक, यह खुलासा सैन फ्रांसिस्को में एक अमेरिकी संघीय अदालत में हुआ, जहां मंगलवार (29 अक्टूबर) को एक मुकदमे की सुनवाई चल रही थी। इसमें वॉट्सऐप ने आरोप लगाया कि इजरायली एनएसओ समूह ने पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करके करीब 1,400 वॉट्सऐप यूजर्स पर नजर रखी थी।
सर्विलांस पर रखे गए लोगों की नहीं दी जानकारी: बता दें कि वॉट्सऐप ने भारत में सर्विलांस पर रखे गए लोगों की पहचान और ‘सटीक संख्या’ का खुलासा करने से साफ इनकार कर दिया है। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म के अमेरिकी-बेस्ड डायरेक्टर (कम्युनिकेशंस) कार्ल वूग ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वॉट्सऐप उन लोगों के बारे में जानता था, जिनमें से हर एक से संपर्क किया गया। वूग ने बताया, ‘‘भारतीय पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को सर्विलांस पर रखा गया था, लेकिन मैं उनकी पहचान व संख्या की जानकारी का खुलासा नहीं कर सकता। मैं यह कह सकता हूं कि यह संख्या बहुत कम नहीं थी।’’
इन लोगों पर रखी गई नजर: जांच में सामने आया है कि देश के करीब 20-25 शिक्षाविदों, वकीलों, दलित एक्टिविस्टों और पत्रकारों से वॉट्सऐप ने संपर्क किया। साथ ही, यह जानकारी दी कि मई 2019 में 2 सप्ताह तक उनके फोन अत्याधुनिक सर्विलांस में थे।
वॉट्सऐप ने किया यह दावा: एनएसओ ग्रुप और क्यू साइबर टेक्नोलॉजीज के खिलाफ मुकदमे में वॉट्सऐप ने आरोप लगाया कि इन कंपनियों ने यूएस और कैलिफोर्निया के कानून के साथ-साथ वॉट्सऐप की शर्तों का भी उल्लंघन किया है। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म का दावा है कि सिर्फ मिस्ड कॉल्स के माध्यम से स्मार्टफोन को सर्विलांस पर लगाया गया। वॉट्सऐप के मुताबिक, हमारा मानना है कि इस घटना में कम से कम 100 लोगों को निशाना बनाया, जो दुर्व्यवहार का अचूक तरीका है। अगर और पीड़ित सामने आए तो यह संख्या बढ़ सकती है।
NSO ग्रुप ने खारिज किए आरोप: एनएसओ ग्रुप ने आरोपों को खारिज किया है। उनका कहना है कि वह इसका सामना करने के लिए तैयार हैं। हमारी तकनीक मानवाधिकार कार्यकर्ताओं व पत्रकारों के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए तैयार नहीं की गई है। बता दें कि मई 2019 में इस तकनीक पर पहली बार संदेह किया गया था। उसके बाद एनएसओ समूह ने कहा कि 19 सितंबर को मानवाधिकार पॉलिसी लागू की गई, जो हमारे कारोबार और शासन प्रणालियों में मानवाधिकारों की सुरक्षा बढ़ाती है।” एनएसओ का दावा है कि पेगासस सिर्फ सरकारी एजेंसियों को बेचा गया। कंपनी का कहना है कि हम अपने प्रॉडक्ट का लाइसेंस सिर्फ वैध सरकारी एजेंसियों को ही देते हैं।