New Delhi/Atulya Loktantra : अमेरिका ने चीन के शिनजियांग प्रांत के मुस्लिमों को हिरासत केंद्र में रखे जाने को लेकर चीनी अधिकारियों के वीजा पर प्रतिबंध लगा दिया है. अमेरिका-चीन के रिश्ते पहले से ही ट्रेड वॉर की वजह से तनावपूर्ण चल रहे हैं और इस नए कदम से दोनों देशों के बीच टकराव और बढ़ सकता है.
अमेरिका के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, उइगरों मुस्लिमों को डिटेंशन कैंप में रखे जाने के लिए जिम्मेदार चीनी अधिकारियों और नेताओं के लिए वीजा बैन कर दिया गया है. इन अधिकारियों और नेताओं के परिवार के सदस्यों की यात्रा पर भी बैन लागू होगा
मंगलवार को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने एक बयान जारी कर कहा, चीनी सरकार ने उइगरों, कजाक, किर्गिज और मुस्लिम अल्पसंख्यक समूह के सदस्यों के खिलाफ कैंपेन छेड़ रखा है. अमेरिका, चीन गणराज्य से शिनजियांग में मुस्लिमों के खिलाफ अत्याचार खत्म करने की मांग करता है.
यह कदम ऐसे वक्त में उठाया गया है जब अमेरिका-चीन के रिश्ते बेहद नाजुक दौर से गुजर रहे हैं और इसी सप्ताह वॉशिंगटन में बीजिंग का एक कारोबारी प्रतिनिधिदल बातचीत के लिए पहुंचने वाला है. अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि नए प्रतिबंधों और वाणिज्य विभाग की कार्रवाई का व्यापार वार्ता से कोई लेना-देना नहीं है.
हालांकि, विदेश विभाग के एक अधिकारी ने ब्लूमबर्ग से कहा कि अमेरिका का मानना है कि चीनी अधिकारी तब तक बातचीत की मेज पर नहीं आएंगे जब तक उन्हें ये नहीं लगेगा कि उनका पार्टनर बेहद गंभीर है.
ट्रंप प्रशासन ने शिनजियांग प्रांत में मुस्लिमों पर अत्याचार के मुद्दे पर चीनी सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है. अमेरिका का अनुमान है कि चीन के शिनजियांग प्रांत में 10 लाख मुस्लिमों को हिरासत में रखा गया है. पिछले महीने भी अमेरिका के नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र महासभा में शिनजियांग प्रांत में मुस्लिमों के साथ बुरे बर्ताव की आलोचना की गई थी.
दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच टकराव का नया मुद्दा बन गया है. सोमवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि अगर हॉन्ग कॉन्ग के प्रदर्शनों के खिलाफ चीन कुछ भी बुरा करता है तो उसे इसका खामियाजा व्यापार वार्ता में उठाना पड़ेगा.
चीन ने अमेरिका के इस कदम की आलोचना की है. मंगलवार को वॉशिंगटन में चीनी दूतावास ने अमेरिका के चीनी अधिकारियों के वीजा पर बैन लगाने के कदम की निंदा की है. चीनी दूतावास ने कहा कि चीन के शिनजियांग प्रांत के अल्पसंख्यकों का मुद्दा उसका आंतरिक मामला है और अमेरिका इस कदम के जरिए इसमें हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहा है.
दूतावास के प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा, अमेरिका का ये फैसला अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सामान्य नियमों का गंभीर रूप से उल्लंघन करता है और यह चीन के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप और चीन के हितों की अनदेखी करने वाला है.
प्रवक्ता ने कहा, शिनजियांग में कथित तौर पर मानवाधिकारों का कोई मुद्दा नहीं है जैसा कि अमेरिका दावा कर रहा है. अमेरिका के आरोप केवल इसके हमारे आंतरिक मामले में दखन करने के तहत लगाए गए हैं. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका तुरंत अपनी गलती सुधारते हुए अपना फैसला वापस ले और चीन के आंतरिक मामलों में दखल देना बंद कर दे.