हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा के मानसून सत्र में आज (सोमवार को) प्रदेश को आपदाग्रस्त राज्य घोषित करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा, प्रदेश में बरसात थमने के बाद यह अधिसूचना वापस लेने पर विचार किया जाएगा। स्थिति को देखते हुए आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू किया है।
उन्होंने कहा, आपदा प्रभावितों के राहत एवं पुनर्वासन के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा, बारिश ने भारी नुकसान हुआ। इस मानसून सीजन में 320 लोगों की जान जा चुकी है। 3 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति नष्ट हो चुकी है।
इससे पहले राज्य में कोरोना काल में भी स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू किया गया था।
सरकार क्या कर सकेगी?
आपदा राज्य घोषित होने के बाद सरकार विधायक निधि और सरकारी योजनाओं के बजट में कटौती कर आपदा प्रभावितों के राहत एवं पुनर्वासन के लिए बजट जुटा सकेगी।
आर्थिक संसाधन जुटाने के लिए सरकार नया सेस इत्यादि लगा सकेगी। इससे सरकार अतिरिक्त इनकम जुटा सकेगी। कोरोना काल में भी राज्य सरकार ने कोविड सेस लगाया था।
स्टेट डिजास्टर घोषित होने के बाद केंद्र से भी राज्य को अतिरिक्त मदद मिल पाएगी।
डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू होने के बाद मौके के ऑफिसर यानी डीसी, एडीएम और एसडी इत्यादि आपदा प्रभावितों के राहत एवं पुनर्वासन के लिए अपने स्तर पर फैसले ले सकेंगे। इसके लिए उन्हें सरकार व उच्च अधिकारियों से अनुमति लेने की औपचारिकताओं में नहीं उलझना पड़ेगा।

