Faridabad/Atulya Loktantra : पृथला विधानसभा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने रैली कर भाजपा से बागी प्रत्याशी नयनपाल रावत को नकली कहा है। मुख्यमंत्री के बयान के बाद पृथला विधानसभा में निर्दलीय उम्मीदवार नयनपाल रावत का ग्राफ गिरा है। भाजपा के कमल समर्थकों का नयनपाल के साथ जाना बयान के बाद वापसी हो गया है। इसका फायदा भाजपा को कम और कांग्रेस उम्मीदवार रघुवीर तेवतिया को ज्यादा हुआ है। इसका कारण यह है कि मुख्यमंत्री की रैली से पहले निर्दलीय उम्मीदवार नयनपाल रावत का ग्राफ सभी उम्मीदवारों के ऊपर था, दूसरे नंबर पर कांग्रेस के पूर्व विधायक एवं पृथला से उम्मीदवार रघुवीर तेवतिया माने जा रहे थे।
फरीदाबाद लोकसभा की हॉट सीट माने जाने वाली पृथला विधानसभा में राजनीति समीकरण हर हफ्ते बदल रहे है। माना यह भी जा रहा है कि सेक्टर- 61 में प्रधानमंत्री की रैली के बाद यहां के समीकरण कुछ और बन सकते है। उस स्थिति में नयनपाल रावत तीसरे पायदान पर पहुंच सकते है। पाठकों को बता दे कि नयनपाल रावत को पृथला विधानसभा क्षेत्र में धरती पकड़ नेता भी कह जाता है क्योंकि नयनपाल रावत ने सबसे पहला चुनाव पृथला विधानसभा से 2005 में बहुजन समाज पार्टी से लड़ा था जो बुरी तरह से हारे थे।
इस हार को जीतने में बदलने के लिए नयनपाल रावत ने बसपा को छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर ली थी।और फिर 2009 में भाजपा के निशान पर चुनाव लड़ा और रघुवीर तेवतिया से हार का मुँह देखन पड़ा। यह हार शायद नयनपाल रावत पचा नहीं पाए और जोर- शोर से भाजपा के लिए काम करने लगे तथा 2014 की मोदी लहर में टिकट लेने में पृथला से कामयाब हो गए और फिर से चुनावी मैदान में अड़े रहे।
इस समय उनका मुकाबला बहुजन समाज पार्टी से था लेकिन नतीजे फिर से नयनपाल को निराश कर गए। और बसपा के टेकचंद शर्मा ने बाजी मार ली। एक बार फिर चुनावी समर में नयनपाल रावत ने भाजपा से हुंकार भरने की जुगत लगाई लेकिन इसमें फेल हो गए।
टिकट इस बार भाजपा युवा मोर्चा के पदाधिकारी रहे कर्मठ उम्मीदवार सोहनपाल छोकर को मिली जिसके बाद से हलकान नयनपाल रावत ने अपने समर्थकों के साथ निर्दलीय उतरने का फैसला ले लिया। लेकिन इस सीट पर दो एक ही समाज के उम्मीदवारों के होने से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को भारी समर्थन मिलने के आसार बन रह है। लेकिन इस पूरे जातीय समीकरणों को देखते हुए नयनपाल रावत और भाजपा के सोहनपाल छोंकर, कांग्रेस प्रत्याशी से पीछे