New Delhi/Atulya Loktantra : वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, पर्यावरणविद ज्ञानेन्द्र रावत को नव भारत जन सेवा संस्थान, दिल्ली द्वारा कांस्टीट्यूशन क्लब मेंयय आयोजित जल संसद के अवसर पर “जल संरक्षक सम्मान ” से सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि जल संसद का उदघाटन चंडीगढ़ स्थित सुखना झील को पुनर्जीवन प्रदान करने वाले पूर्व आई ए एस (रिटायर्ड) व वर्तमान में भारतीय विद्या भवन के प्रमुख श्री अशोक प्रधान ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर जहां देश में जल संरक्षण की दिशा में कार्य कर रहे पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने बढ़ते जल संकट पर अपनी चिंता जाहिर की, अपने विचार- अनुभव साझा किये, वहीं जल संचय, संरक्षण व दैनंदिन जीवन में जल की बचत किये जाने का संकल्प भी लिया।
इस अवसर पर श्री अशोक प्रधान जी ने सुखना झील के इतिहास, उसके पुनर्जीवन हेतु किये गये प्रयासों का सिलसिलेवार वर्णन किया, वहीं डाक्यूमेंट्री फिल्म के माध्यम से उसकी पूर्व व वर्तमान स्थिति से भी अवगत कराया और कहा कि यह कार्य जन सहभागिता से ही संभव है।
जल संसद के दौरान उपस्थित मुख्य अतिथि श्री ज्ञानेन्द्र रावत ने जल संकट की वैश्विक स्थिति ,उसकी गंभीरता, नदियों की बदहाल स्थिति और गंगा नदी के अस्तित्व की रक्षा हेतु कानून बनाये जाने की मांग को लेकर प्रख्यात गंगा वैज्ञानिक प्रो.जी .डी. अग्रवाल उर्फ स्वामी सानंद के बलिदान का वर्णन किया, विशिष्ट अतिथि विश्व जल परिषद के सदस्य ,शिक्षाविद व गिफ्ट के अध्यक्ष डा. जगदीश चौधरी ने गंगाजल की महत्ता, राष्ट्रीय नदी गंगा की दुर्दशा व उस हेतु सरकार की उदासीनता – असंवेदनशीलता व बांधों के चलते गंगाजल के ह्वास पर प्रकाश डाला, मानवाधिकार कार्यकर्ता श्री शैलेन्द्र ठाकुर ने जल के प्रागैतिहासिक महत्व और अधिकारों की चर्चा की, वहीं प्रसिद्ध गांधीवादी श्री रमेश चन्द्र शर्मा ने नदियों की अविरलता से सम्बन्धित गीतों के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया कि वे कैसे बहें व प्रोफेसर पी के लक्ष्मणन ने जल संरक्षण हेतु कानून की आवश्यकता पर बल दिया और स्पष्ट किया कि इसके सिवा जल संकट से उबरने के सारे प्रयास बेमानी होंगे।
समारोह में अतिथियों को जल संरक्षक सम्मान से व सभी 28 पर्यावरण कार्यकर्ताओं को सजल जल प्रहरी सम्मान से सम्मानित किया गया। अंत में संस्थान की अध्यक्ष श्रीमती सुमन द्विवेदी ने सभी अतिथियों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया और महासचिव श्री राज कुमार दुबे ने आश्वस्त करते हुए कहा कि संस्थान भविष्य में जल संरक्षण की दिशा में जन जागृति हेतु हर संभव प्रयास करता रहेगा।