New Delhi/Atulya Loktantra: आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दूसरी पुण्यतिथि है। साल 2018 में एक लंबी बीमारी से जूझने के बाद अटल जी ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में अपनी आखिरी सांस ली थी। 93 वर्ष की उम्र में उनका निधन हुआ था।
अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि पर पार्टी के नेता उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए उनके स्मारक सदैव अटल पर पहुंचे थे। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, यूपी प्रदेश अध्यक्ष और अन्य नेता शामिल थे।
अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में तीन बार देश का नेतृत्व किया। इस दौरान उन्होंने अपने भाषणों से सबको हिलाकर रख दिया। वे पहली बार साल 1996 में 16 मई से 1 जून तक, 19 मार्च 1998 से 26 अप्रैल 1999 तक और फिर 13 अक्तूबर 1999 से 22 मई 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे हैं। एक बार अटल बिहारी वाजपेयी पर विरोधी पार्टियों ने आरोप लगाया था कि उनको सत्ता का लोभ है।
इस पर अटल जी ने लोकसभा में खुलकर बात की और अपने भाषण से सभी को हिलाकर रख दिया। उन्होंने न सिर्फ विरोधियों को जवाब दिया, बल्कि भगवान राम का दिया हुआ श्लोक पढ़ते हुए कहा था- भगवान राम ने कहा था कि ‘मैं मरने से नहीं डरता, डरता हूं तो सिर्फ बदनामी से डरता हूं…’ जिसके बाद विरोधियों ने कभी उन पर ऐसा आरोप नहीं लगाया।
उन्होंने ये भाषण 28 मई 1996 में विश्वास प्रस्ताव के दौरान दिया था। अटल बिहारी वाजपेयी के भाषणों को सुनने के लिए विपक्ष भी शांत बैठा करता था। उनके भाषण हमेशा ही शानदार होते थे। लोग तो यहां तक कहते हैं कि अब उन सा भाषण देने वाला कोई नेता रहा ही नहीं।
..जब ठंड और बारिश में भी अटल को सुनने के लिए बैठ रहे लोग
अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर ये भी सुनने को मिलता है कि एक बार अटल जी के भाषण को सुनने के लिए लोग भीषण ठंड और बारिश में भी लंबे समय तक एक ही जगह पर डटे रहे थे। आपातकाल के दौरान वाजपेयी जेल में बंद थे। फिर इंदिरा गांधी ने चुनाव की घोषणा कर दी। उसके बाद सब लोग छूट गए। चुनाव प्रचार के लिए कम वक्त मिला था। दिल्ली में जनसभा हो रही थी।
जनता पार्टी के नेता आकर स्पीच देते थे। पर सब थके हुए से लगते थे। फिर भी जनता हिल नहीं रही थी। ठंड थी और बारिश भी हल्की-हल्की होने लगी थी। तभी एक नेता ने बगल वाले से पूछा कि लोग जा क्यों नहीं रहे। बोरिंग स्पीच हो रही है और ठंड भी है। तो जवाब मिला कि अभी अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण होना है, इसीलिए लोग रुके हुए हैं।
अटल जी के भाषण की कुछ ऐसी रहती थी शैली
बाद मुद्दत के मिले हैं दिवाने, कहने सुनने को बहुत हैं अफसाने।
खुली हवा में जरा सांस तो ले लें, कब तक रहेगी आजादी कौन जाने।
इस तरह की जुगलबंदी में अटल जी माहिर थे, इन पंक्तियों को सुनाने के बाद उन्होंने खुद बताया था कि दूसरी लाइन उन्होंने तुरंत बना दी थी। जिससे जनता मंत्रमुग्ध हो गई थी। याद दिला दें कि इंदिरा गांधी ने एक बार अटल जी की आलोचना की थी कि वो बहुत हाथ हिला-हिलाकर बात करते हैं। इस पर अटल जी ने जवाब में कहा था कि वो तो ठीक है, आपने किसी को पैर हिलाकर बात करते देखा है क्या।
1994 में यूएन के एक अधिवेशन में पाकिस्तान ने कश्मीर पर भारत को घेर लिया था। उस दौरान प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने भारत का पक्ष रखने के लिए नेता प्रतिपक्ष अटल बिहारी वाजपेयी को भेजा था। वहां पर पाकिस्तान के नेता ने कहा कि कश्मीर के बगैर पाकिस्तान अधूरा है। तो जवाब में वाजपेयी ने कहा कि पाकिस्तान के बगैर हिंदुस्तान अधूरा है।
पाकिस्तान के ही मुद्दे पर अटल बिहारी की बड़ी आलोचना होती कि ताली दोनों हाथ से बजती है। अटल जी अकेले ही उत्साहित हुए जा रहे हैं। तब वाजपेयी ने जवाब में कहा कि एक हाथ से चुटकी तो बज ही सकती है।
सबको हंसाते हुए भाषण शुरू करते थे अटल जी..। अटल बिहारी वाजपेयी जिस वक्त देश के प्रधानमंत्री बने थे, उस समय संसद में विश्वास मत के दौरान उन्होंने बहुत प्रभावी भाषण दिया था। उन्होंने सदन में भारतीय जनता पार्टी को व्यापक समर्थन हासिल नहीं होने के आरोपों को लेकर सवाल खड़े किए थे।
उन्होंने कहा था कि ये कोई आकस्मिक चमत्कार नहीं है कि हमें इतने वोट मिल गए हैं। ये हमारी 40 साल की मेहनत का नतीजा है। हम लोगों के बीच गए हैं और हमने मेहनत की है। हमारी 365 दिन चलने वाली पार्टी है, ये चुनाव में कोई कुकुरमुत्ते की तरह पैदा होने वाली पार्टी नहीं है। उन्होंने कहा था कि आज हमें सिर्फ इसलिए कटघरे में खड़ा कर दिया गया क्योंकि हम थोड़ी ज्यादा सीटें नहीं ला पाए।
लाल किले की प्राचीर से दिया अटल जी का अंतिम भाषण
प्यारे देशवासियो, आज देश ऐसे मोड़ पर है जहां से देश एक लंबी छलांग लगा सकता है, भारत को 2020 तक विकसित राष्ट्र बनाने के बड़े ध्येय को हासिल करने की तमन्ना सारे देश में बल पकड़ रही है। जरा पीछे मुड़कर देखिए, बड़े-बड़े संकटों का सामना करके भारत आगे बढ़ रहा है।