New Delhi/Atulya Loktantra : ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और कृषक मुक्ति संग्राम समिति ने रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के असम दौरे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को वापस लेने की मांग की. कई जिलों में एएएसयू के सदस्यों ने विवादास्पद अधिनियम की प्रतियां जलाईं, जबकि गुवाहाटी और अन्य स्थानों पर उन्होंने काले झंडे लहराए.
एएएसयू के अध्यक्ष दिपांका कुमार नाथ ने कहा कि सीएए ने असमिया लोगों के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है. साथ ही उनकी संस्कृति, पहचान और भाषा को खतरे में डाल दिया है. उन्होंने कहा कि जब तक सीएए को निरस्त नहीं किया जाता, हम अपना विरोध जारी रखेंगे.
इस बीच, कृषक मुक्ति संग्राम समिति के सदस्यों ने राष्ट्रीय राजमार्ग -27 को अवरुद्ध कर दिया और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के पुतले जलाए. अधिकारियों ने कहा कि पुलिस ने बाद में उन्हें हिरासत में लिया और रास्ता साफ किया.
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोकराझार में पहले बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र समझौते दिवस समारोह में भाग लिया, और कहा कि “ऐतिहासिक संधि” ने शांति और विकास का मार्ग प्रशस्त करते हुए पूर्वोत्तर में उग्रवाद को समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू की है.
नलबाड़ी में एक रैली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस-एआईयूडीएफ गठबंधन घुसपैठियों का स्वागत करने के लिए “सभी फाटक” खोलेगा, अगर वह सत्ता में आते हैं.
भारत में लोकतंत्र तभी होगा जब देश के सभी सांसद / विधायक जब कब भी कोई कानून / विधेयक संसद या विधान सभा में रखा जाए तब उसे देश की सभी ग्राम पंचायतों /और शहरों में वेलफेयर RWA समितियों के सामने भेजा जाए और उस पर उनसे विचार मंगाए जाने चाहिए ! उसके उपरांत सांसद के सामने बहुमत से को भी विचार प्राप्त हो उसके अनुसार विधेयक पर मतदान करना चाहिए न कि किसी व्यक्ति विशेष या पार्टी हाई कमांड के इशारों पर !
अभी देश मै झुंड तंत्र / गैंग तंत्र ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह तंत्र चल रहा है !