Chandigarh/Atulya Loktantra : अब शिकायतकर्ता को थाने और चौकियों में रिपोर्ट लिखवाने के लिए कागज लाने को पुलिस नहीं कह पाएगी। यदि कोई पुलिसकर्मी ऐसे करता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने सूबे के सभी थाने और चौकियों के लिए स्टेशनरी बजट तय कर दिया है। शहरी, ग्रामीण, थानों और पुलिस चौकियों को स्टेशनरी के लिए मासिक बजट मिलेगा।
अभी तक थानों और चौकियों में यह रवायत थी कि शिकायतकर्ता शिकायत के लिए जाता था तो थाने का मुंशी उसे कहता था कि पास की दुकान से रिपोर्ट लिखने के लिए कागज ले आना। शिकायतकर्ता की यह मजबूरी थी कि उसे रिपोर्ट लिखवानी होती थी। साथ ही पुलिस में यह कल्चर बन गया था कि जो भी रिपोर्ट लिखवाने आएगा कागज लेकर आएगा। जिसके पीछे कारण यह था कि पुलिस को स्टेशनरी का बजट नहीं मिलता था।
स्टेशनरी खर्च के नाम पर थाने और चौकियों को सरकार दो से तीन सौ रुपये देती थी, जो एक दो बार में ही खर्च हो जाता था। कागज के अलावा थाने में गोंद, स्टेपलर, पेन, स्याही आदि का खर्च भी होता था। इसके साथ ही प्रिंटर की इंक और कार्टेज का भी खर्च होता है। इसके अलावा भी कई ऐसे खर्च थाने में होते है जो पुलिस को अपने स्तर पर करने होते हैं।
यह रकम तय की गई
महिला थाना – 30 हजार
शहर का थाना – 50 हजार
गांव का थाना – 25 हजार
ट्रैफिक थाना – 25 हजार
जांच खर्च के नाम से जाना जाएगा
गृह विभाग ने इस खर्च को जांच खर्च का नाम दिया है। यह थाने से जुड़े अन्य खर्चों में आएगा, जैसे कि चूना डलवाना, लावारिस शवों का दाह संस्कार आदि। अभी तक सरकार प्रति मुकदमे के हिसाब से 300 रुपये का खर्च देती थी, जिसके बिल महीनों लंबित रहते थे। कई मामलों में तो पुलिसकर्मियों को अपनी जेब से ही लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करना पड़ता था।
थानों में स्टेशनरी के खर्च के लिए मंजूरी दे दी है। जिससे पुलिस की बहुत बड़ी दिक्कत हल हो जाएगी।
-अनिल विज, गृह मंत्री