Chandigarh/Atulya Loktantra : 5 जुलाई को लगने वाला चंद्रग्रहण पूर्ण ग्रहण नहीं है, बल्कि उप छाया ग्रहण है। हरेक चंद्र ग्रहण के घटित होने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उप छाया में अवश्य प्रवेश करता है, जिसे चंद्र मालीन्य कहा जाता है। इसके बाद ही वह पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तभी उसे वास्तविक ग्रहण कहा जाता है। उप छाया ग्रहण का भारत पर कोई प्रभाव नहीं होगा न ही किसी राशि पर प्रभाव डालेगा। ऐसे में इस ग्रहण को लेकर लोग किसी तरह के भ्रम व चिंता में न रहें। इस ग्रहण के दौरान धार्मिक स्थल भी खुले रहेंगे, किसी को भी कोई परहेज करने की जरूरत नहीं होगी।
श्रीवैष्णो देवी पिंडी दरबार संचालक एवं ज्योतिषाचार्य पंडित सचिन शास्त्री ने बताया कि भूभा में चंद्रमा के संक्रमण काल को चंद्रग्रहण का जाता है। कई बार पूर्णिमा को चंद्रमा उप छाया में प्रवेश कर उप छाया शंकु से ही बाहर निकल जाता है। इसे उप छाया के समय चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला पड़ता है, काला नहीं होता। इस विलक्षण को साधारण नग्न आंखों से देख पाना भी संभव नहीं होता।
धर्मशास्त्रों ने इस प्रकार के उप छाया ग्रहण में चंद्र बिंदु पर मालिनी मातृछाया आने के कारण उन्हें ग्रहण की कोटि में नहीं रखा। आने वाले समय में जो भी चंद्रग्रहण लगना होता है तो उससे पहले व बाद में भी चंद्रमा को पृथ्वी की इस छाया से गुजरना पड़ता है, इसे ग्रहण की संज्ञा नहीं दी जा सकती।