Chandigarh/Atulya Loktantra: सरकार की सख्ती और जागरूकता अभियानों की परवाह किये बिना हरियाणा के लगभग 660 गावों के किसान धान की फसल के बाद उसके अवशेष यानी पराली का खेतों में ही दहन कर रहे हैं। जिससे आबोहवा बिगड़ रही हैं। शनिवार को सूबे के लगभग हर जिले में फिजा कुछ धूमिल सी नजर आई। इसके अलावा प्रदेश के कई जिलों में एयर क्वालिटी इंडेक्स दिनोंदिन बिगड़ रहा है।
कृषि विभाग के आला अफसरों की मानें तो इस वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण सिर्फ पराली जलाना नहीं है। कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के अनुसार इस बार पराली जलाने की घटनाएं पिछले साल के अपेक्षाकृत कम हुई हैं। यदि कई शहरों में वायु लगातार प्रदूषित हो रही है, तो इसका सबसे बड़ा कारण सिर्फ पराली जलाने को ही नहीं माना जा सकता। वाहनों, फैक्टरियों व कंस्ट्रक्शन का प्रदूषण भी हवा को तेजी से प्रदूषित कर रहा है। पराली का जलना कुछ हद तक ही वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेवार है। मगर कृषि विभाग पूरा प्रयास कर रहा है कि ग्राम पंचायतों को जागरूक बनाकर पराली जलाने की घटनाएं कम करवाएं और पराली से किसानों को आमदनी करना सिखाएं।
जिले के 30 गांवों की सूची उपायुक्तों को भेजी
हरियाणा प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने हर जिले में 30-30 ऐसे गांव चिह्नित किए हैं, जहां किसान लगातार पराली जलाकर आबोहवा को खराब करते हैं। सूबे के सभी 22 जिलों के जिला उपायुक्तों को बोर्ड की ओर से ऐसे गांवों की सूची भेजी गई हैं और उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि इन गांवों में पराली जलाने के मामलों पर विशेष प्रकार से नजर रखें।
बोर्ड के सदस्य सचिव एस. नारायण ने बताया कि हरियाणा सरकार वायु प्रदूषण को लेकर चिंतित है। कृषि विभाग के साथ-साथ बोर्ड भी अपने स्तर पर किसानों से पराली न जलाने की अपील कर रहा है। इस बार सख्ती भी ज्यादा की जा रही है और ऐसा करने पर वालों पर मोटा जुर्माना भी लगाया जा रहा है।