[ दीपक शर्मा शक्ति ]•
• देश को चलाने वाले ( सभी दलों के)विधायक या सांसद , देश आजाद होने के इतने वर्षों बाद भी हम यदि किसी दलित , पिछड़े वर्ग के घर भोजन करते हैं और वह परिवार , समाज भी उस लम्हे में खुद को गौरवान्वित महसूस करता है तो मेरे मन में सवाल उठता है .. क्या हम उस पर उपकार कर रहे हैं !! सभी पार्टियों के नेताओं से मेरा यह सवाल है कि वे जब भी ऐसा करते हैं और उसे प्रैस के माध्यम से हाईलाइट भी करते हैं तो क्या हम उसे उस घर का मान समझें या अपमान ( यदि सब उसे मान समझते हैं तो मेरा ख्याल से मान नहीं है घोर अपमान है ) , और यह सभी दल करते आए हैं।
ये राजनीति आखिर कब तक :
मेरा मानना है जब तक यह भारतीय राजनीति ( जाति, धर्म,भाषा ,प्रांतीय भेदभाव , वोट बैंक , रिजर्वेशन ) की राजनीति और गणित से परे जब तक हमारी सोच नहीं बनेगी तब तक देश असल तरक्की नहीं कर सकता है , और बड़े दुःख की बात है कि जबसे होश संभाला है यह सोच ही देखता आ रहा हूं भले ही देश ने खूब भौतिक तरक्की कर ली हो। लेकिन जब आज तक भी यही देखता हूं तो मन में पीड़ा होती है और उससे भी बड़ा दुःख इसलिए होता है जब ये पाता हूं कि जनता की सोच भी इस सोच में ही रची बसी हुई है … आखिर कब तक !!
आम वोटर को देश की राजनीति में अपनी राजनीतिक सहभागिता बढ़ानी होगी , पढ़े लिखे लोग राजनीति से दूरी न बढ़ाए ••
जाति, धर्म,भाषा ,प्रांतीय भेदभाव , वोट बैंक , रिजर्वेशन की राजनीति से सरकारें तो बन और बिगड़ जाती है लेकिन विकास वहीं ठप्प पड़ जाता है जहां था । जिस दिन देश इस सब से ऊपर उठकर अपना नजरिया पेश करेगा और देश का हर शिक्षित व्यक्ति राजनीति में भी दिलचस्पी दिखाएगा तभी देश सही मायने में तभी तरक्की करेगा। सभी नागरिकों को हक है कि वे भी राजनीति में आएं ताकि चुनिंदा राजनीतिक घरानों से मुक्त हो यह देश और मै समझता हूं अब वह समय आ गया है कि सभी आम नागरिकों को राजनीति पर अपनी समझ बढ़ानी होगी ताकि राजनीतिक रूप से सक्षम आम नागरिक भी हर चुनाव में भाग ले ताकि देश में सभी लोगों की राजनीतिक सहभागिता सुनिश्चित हो और सही मायने में देश तरक्की करे ।