देश के अलग अलग हिस्सों में मोब लिंचिंग (Bhid Hinsa) की घटनायें बढ़ती जा रही है। इसी संदर्भ में राजद के सांसद ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान सवाल किया जिसमें उन्होंने कहा कि क्या सुप्रीम कोर्ट के निर्देश अनुसार हेट क्राइम (Hate Crime), मोब लिंचिंग (Mob Voilence) में बदलाव किया गया तथा इससे संबंधित आंकड़े भी मांगे । जिसके जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि सरकार मौजूदा क्रिमिनल कानून (Criminal Laws) की समीक्षा कर रही है और सरकार की कोशिश है कि सभी को तय वक्त में न्याय मिल सके।
पिछले 7-8 सालों में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार देने की घटनाएं बेहद डरावनी होती गई हैं। कभी बच्चा चोरी (Baccha Chori) तो कभी घर के किचन में बीफ रखे होने की अफवाह पर। बातें कहीं से शुरू होती हैं, आग की तरह गांव-मोहल्लों में फैल जाती हैं। फिर भड़काई भीड़ किसी व्यक्ति की जान ले लेती है। पुलिस कार्रवाई करती है, मामला दर्ज होता है और गिरफ्तारियां भी। अदालत के भीतर केस चलते हैं और आरोपी बाहर घूमते हैं।
जब अनियंत्रित भीड़ द्वारा किसी दोषी को उसके किये अपराध के लिये या कभी-कभी मात्र अफवाहों के आधार पर ही बिना अपराध किये भी तत्काल सज़ा दी जाए अथवा उसे पीट-पीट कर मार डाला जाए तो इसे भीड़ द्वारा की गई हिंसा या मॉब लिंचिंग कहते हैं। इस तरह की हिंसा में किसी कानूनी प्रक्रिया या सिद्धांत का पालन नहीं किया जाता और यह पूर्णतः गैर-कानूनी होती है।