अतुल्य लोकतंत्र के लिए डा.रक्षपाल सिंह की कलम से…
वर्तमान में कोरोना महामारी का जो तांडव देशभर में हो रहा है और जिसकी रोकथाम हेतु पूरे देश की सरकारी मशीनरी लगा देने के वाबजूद कई बड़े राज्यों में लौकडाउन लगाये जाने के हालात पैदा हो जाने से जनता भयभीत हो रही है, लेकिन अफसोस है कि केन्द्र व कुछ राज्य सरकारें कोरोना रोकथाम के महत्वपूर्ण कदमों को उठाने से अपने हाथ खींच रही हैं । पूरा देश जानता है कि भारी भीड़ का चुनावी रैलियों, हरिद्वार जैसे कुम्भ पर्व अथवा अन्य मेलों में जमा होना कोरोना महामारी को बढ़ाने में उत्प्रेरक (catalyst) का काम करता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि ठीक एक साल पूर्व देश में कोरोना की शुरूआत के चलते केन्द्र सरकार ने दिल्ली मरकज़ में उपस्थित तब्लीगी जमात के लगभग 10 हज़ार सदस्यों के खिलाफ धावा बोल दिया था और टेलीवीज़न नेटवर्क पर दो महीने से अधिक समय तक तब्लीगी जमात को ही लगातार कोसा जाता रहा था और एक साल बाद ही अब हरिद्वार कुम्भ में लाखों लोगों की उपस्थिति एवं उनके गंगा माँ की धारा में निरन्तर स्नान पर केन्द्र सरकार की चुप्पी क्यों? क्या हरिद्वार की भीड़ कोरोना प्रूफ है ?
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष डा. रक्षपाल सिंह ने कहा है कि कैसी विडम्बना है कि विरोधी दलों के नेता भी हरिद्वार कुम्भ के अवसर पर वहां पहुंचे हैं । उन्हें तब्लीगी जमात के साथ गत वर्ष हुए दुर्व्यवहार की याद दिलाते हुए केन्द्र सरकार एवं उत्तराखंड सरकार से कोरोना रोकथाम के उपायों का पालन करते हुए काफी सीमित संख्या के साथ ही इस कुम्भ आयोजन की मांग करनी चाहिये थी । महामना गंगा नदी विकास एवं जल संसाधन प्रबंधन शोध केन्द्र बी एच यू के चेयरमैन व नदी विज्ञानी प्रो बीडी त्रिपाठी की अगले 15 दिन तक हरिद्वार से आगे पूरी गगा नदी में स्नान न करने की चेतावनी से स्पष्ट है कि देशवासियों का जीवन पन्थिक आस्थाओं से अधिक मूल्यवान है। डा सिंह ने कहा है कि कुछ लोगों की आस्थाओं से दूसरों के जीवन को संकट में डालना पाप होता है,अत: कोरोना पर अंकुश लगाने हेतु सरकार को चुनावी सभाओं में रैलियों व सभाओं पर रोक लगाने तथा काफी सीमित संख्या के साथ कुम्भ पर्व की रस्म पूरी कराने हेतु अविलंबआवश्यक कार्रवाई करनी चाहिये ।
(लेखक प्रख्यात शिक्षाविद व डा.अम्बेडकर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ आगरा के पूर्व अध्यक्ष भी हैं।)