चुनाव में फ्री स्कीम्स पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें मुफ्त चुनावी वादों पर रोक लगाने की मांग की गई है। सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस एनवी रमना ने मामले को नई बेंच में रेफर कर दिया। सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि कमेटी बनाई जा सकती है, लेकिन क्या कमेटी इसकी परिभाषा सही से तय कर पाएगी।
CJI रमना ने कहा कि इस केस में विस्तृत सुनवाई की जरूरत है और इसे गंभीरता से लेनी चाहिए। वहीं फैसला सुनाने के बाद CJI ने याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय को धन्यवाद दिया, जिस पर उपाध्याय ने कहा कि हम आपको मिस करेंगे। नई बेंच में अगले चीफ जस्टिस समेत 3 जज होंगे और आगे की सुनवाई करेंगे।
आयोग ने कहा था- फ्री स्कीम्स की परिभाषा आप ही तय करें
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान 11 अगस्त को चुनाव आयोग ने कहा कि फ्रीबीज पर पार्टियां क्या पॉलिसी अपनाती हैं, उसे रेगुलेट करना चुनाव आयोग के अधिकार में नहीं है। चुनावों से पहले फ्रीबीज का वादा करना या चुनाव के बाद उसे देना राजनीतिक पार्टियों का नीतिगत फैसला होता है।
इस बारे में नियम बनाए बिना कोई कार्रवाई करना चुनाव आयोग की शक्तियों का दुरुपयोग करना होगा। कोर्ट ही तय करें कि फ्री स्कीम्स क्या है और क्या नहीं। इसके बाद हम इसे लागू करेंगे।
याचिका में क्या कहा गया है?
भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने जनहित याचिका दायर की है। इसमें मांग की है कि चुनाव में उपहार और सुविधाएं मुफ्त बांटने का वादा करने वाले दलों की मान्यता रद्द की जाए। कोर्ट ने याचि और सुझाव देने के लिए कोर्ट की तरफ से कपिल सिब्बल को आमंत्रित किया गया था।