कोर्ट का कहना था, कि जांच की प्रगति हमारी उम्मीद के अनुरूप नहीं हो रही। सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में अलग-अलग एफआईआर में गवाहों की मिलीभगत पर असंतोष व्यक्त किया है। साथ ही, जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के एक पूर्व जज को नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा है।
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सोमवार को सर्वोच्च अदालत ने कहा, कि यूपी सरकार द्वारा दायर इस स्टेटस रिपोर्ट में यह कहने के अलावा कुछ भी नया नहीं है, कि अन्य गवाहों से पूछताछ की गई है। इस दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में कराने का सुझाव भी दिया है। इस मसले पर कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से शुक्रवार तक अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा है। गौरतलब है, कि पिछले महीने प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हिंसा के दौरान चार किसानों और एक राष्ट्रीय चैनल के पत्रकार सहित 8 लोगों की मौत हो गयी थी।
इन रिटायर्ड जस्टिस का नाम सुझाया
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के रिटायर जस्टिस रंजीत सिंह और जस्टिस राकेश कुमार जैन का नाम सुझाया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई को शुक्रवार तक के लिए टाल दिया है।
सुनवाई के दौरान क्या कहा चीफ जस्टिस ने?
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (Justice NV Ramana) ने कहा, कि हमारा विचार है कि हाई कोर्ट के रिटायर जस्टिस केस की छानबीन रोजाना आधार पर मॉनिटर करें। सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए यूपी सरकार से पूछा, कि केवल आशीष मिश्रा का फोन ही क्यों जब्त किया गया है? अन्य का क्यों नहीं? कोर्ट ने आगे कहा, कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि केस में सबूतों का कोई घालमेल न हो, हम मामले की जांच की निगरानी के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को नियुक्त करने की इच्छा रखते हैं।