राफेल का जिन्न एक बार फिर बाहर आ रहा है, फ्रांस की सरकार ने पहले से तो इस मामले कोई दम नहीं है की बात करती आई है लेकिन जब एक एनजीओं के द्वार सरकारी शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद फ्रांसीसी जज ने एक जज के नेतृत्व में इसके जांच के आदेश जारी कर दिए। अगर इस केस में कुछ भी दाए-बाएं जैसी स्थिती सामने आई तो पीएम मोदी सरकार की किरकिरी होने से कोई रोक नहीं सकता, वहीं विपक्ष को मौका मिल जाएगा सरकार के उपर हमला करने का।
राफेल की जांच रिपोर्ट में अगर खबर सब सही आई तो सरकार के सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन अगर नाकारात्मक खबर आई तो सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ-साथ भ्रष्टाचार के भी दाग लग जाएंगे जिसकी मोदी सरकार व उनके मंत्रीमंडल के सदस्यों ने हमेशा खंड़न किया है। राफेल डील को लेकर राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सितारमण ने लोकसभा में लगातार दो घंटे तक भाषण दी थी।
भारत के साथ 36 फाइटर जेट की डील फ्रांस के सरकार के साथ हुई थी
आपको बता दें की फ्रांस ने भारत के साथ वर्ष 2016 में हुए अरबों डॉलर के विवादित राफेल फाइटर जेट डील की जांच के आदेश दिए हैं। देश के नैशनल फाइनेंशियल प्रॉसिक्यूटर्स ऑफिस ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। इसके लिए एक जज की नियुक्ति के आदेश दिए गए हैं। करीब 9.3 अरब डॉलर के इस समझौते के तहत भारत को 36 फाइटर जेट दिया जाना है। यह समझौता भारत सरकार और फ्रांसीसी विमान निर्माता कंपनी डसाल्ट के बीच हुआ था और इसमें लंबे समय से भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। हालांकि भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अपनी जांच में इन आरोपों में कोई दम नहीं पाया था।
खोजी वेबसाइट मीडियापार्ट ने राफेल सौदा पर गंभीर आरोप लगाए
इससे पहले नैशनल फाइनेंशियल प्रॉसिक्यूटर्स ने राफेल सौदे की जांच करने से इंकार कर दिया था। इसके बाद फ्रांसीसी खोजी वेबसाइट मीडियापार्ट ने उस पर गंभीर आरोप लगाए थे। उसने कहा कि फ्रांसीसी जांच एजेंसी राफेल डील को लेकर जारी संदेहों को दबाना चाहती है। इससे पहले अप्रैल महीने में मीडियापार्ट ने दावा किया था कि राफेल डील में मदद करने वाले लोगों को ‘छिपाकर करोड़ों रुपये दलाली’ दिया गया।