Parliament: जम्मू-कश्मीर से विस्थापन और विस्थापित हुए परिवारों का दर्द समाचार माध्यमों से कई बार विभिन्न रूप में हमारे सामने आ चुका है। सत्ता में कई सरकारें आई और चली गई, लेकिन जो रातों रात घाटी से विस्थापित हो गए उनकी सुध लेने वाला अब तक कोई नहीं था। लेकिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद- 370 हटने के बाद उन लोगों में एक भरोसा जगा था कि शायद कुछ ऐसे प्रयास हों, जिससे वो अपनी जमीन पर एक बार फिर कदम रख रखें। देश की संवेदनाएं हमेशा से कश्मीरी विस्थापितों के साथ रही है। इस दिशा में भारत सरकार द्वारा मंगलवार को दी गई एक जानकारी खुश करने वाली रही।
दरअसल, मंगलवार 30 नवंबर को संसद में केंद्र सरकार ने एक जानकारी दी जिसमें बताया गया, कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत नौकरी के लिए 1,678 कश्मीरी विस्थापित कश्मीर लौटे हैं। हालांकि, ये संख्या काफी छोटी है, लेकिन सकारात्मक नजरिए से देखा जाए तो बेहतरी की ओर एक कदम है।
इस संबंध में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया, कि जम्मू-कश्मीर सरकार की तरफ से दी गई सूचना के मुताबिक, अनुच्छेद- 370 निरस्त होने के बाद 150 आवेदकों को जमीन बहाल हुई है। प्रवासी हिंदुओं की पैतृक संपत्ति की बहाली के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं।
क्या है प्रक्रिया?
बता दें, कि कश्मीरी विस्थापित अचल संपत्ति संरक्षण अधिनियम के तहत संबंधित डीएम विस्थापित परिवार की अचल संपत्ति के कानूनी कस्टोडियन हैं। इन्हें अतिक्रमण से संबंधित मामलों में स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने का भी अधिकार है। इसके साथ ही, चाहें तो विस्थापित खुद भी डीएम से अनुरोध कर सकते हैं।