India US Relations: यह कोई विचित्र संयोग नहीं है कि अमेरिका के विदेश मंत्री (US Secretary Of State) भारत (Antony Blinken in India) आए हुए हैं और पाकिस्तान के विदेश मंत्री (Pakistan Foreign Minister) चीन (Shah Mahmood Qureshi In China) गए हुए हैं। दोनों का मकसद एक-जैसा ही है। दोनों चाहते हैं कि अफगानिस्तान में खून की नदियां न बहें और दोनों का वहां वर्चस्व बना रहे। अमेरिका चाहता है कि इस लक्ष्य की पूर्ति में भारत उसकी मदद करे और पाकिस्तान चाहता है कि चीन उसकी मदद करे।
उसे डर यह है कि यदि काबुल पर तालिबान का कब्जा हो गया तो चीन का सिंक्यांग (शिनच्यांग) प्रांत उसके हाथ से निकल सकता है। वहां पिछले कई दशकों से पूर्वी तुर्किस्तान आंदोलन चल रहा है। वहां के उइगर मुसलमानों ने पहले च्यांग काई शेक और फिर माओ त्से तुंग की नाक में भी दम कर रखा था। वे अपना स्वतंत्र इस्लामी राष्ट्र चाहते हैं।
माना जाता है कि चीनी सरकार ने लगभग 10 लाख उइगर मुसलमानों को अपने यातना-शिविरों में कैद कर रखा है। लगभग 10 साल पहले जब मैं इस प्रांत की राजधानी उरुमची में गया था तो उइगरों की बदहाली देखकर मैं दंग रह गया था।