ओम बिरला लगातार दूसरी बार लोकसभा के स्पीकर चुने गए। बुधवार, 26 जून को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही प्रोटेम स्पीकर भतृर्हरि महताब ने स्पीकर के चुनाव की घोषणा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिरला के नाम का प्रस्ताव रखा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत NDA के नेताओं ने समर्थन किया।
सदन में ध्वनिमत से बिरला के नाम का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद PM मोदी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी उन्हें चेयर तक छोड़ने आए। इससे पहले शिवसेना (यूटीबी) सांसद अरविंद सावंत ने कांग्रेस सांसद के. सुरेश को लोकसभा अध्यक्ष के रूप में चुने जाने का प्रस्ताव रखा। सदन की कार्यवाही ढाई घंटे (सुबह 11 बजे से दोपहर डेढ़ बजे तक) चली।
पीएम ने कहा- आपका अनुभव काम आएगा, राहुल बोले- विपक्ष की आवाज दबने नहीं देंगे
बिरला की स्पीकर बनने पर PM ने कहा- आपका अनुभव देश के काम आएगा। राहुल गांधी ने कहा- मुझे विश्वास है कि आप विपक्ष की आवाज दबने नहीं देंगे।
सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा- उम्मीद है कि विपक्ष की आवाज नहीं दबाई जाएगी। न ही निष्कासन जैसी कार्रवाई की जाएगी। आपका अंकुश विपक्ष पर तो रहता है, सत्ता पर भी रहे। आपके इशारे पर सदन चलता है, इसका उल्टा न हो।
बिरला ने पहले भाषण में आपातकाल को काला धब्बा बताया
बिरला ने पहले भाषण में आपातकाल को काला धब्बा बताया। 2 मिनट का मौन रखवाया। सत्ता पक्ष ने मौन रखा, लेकिन विपक्ष ने हंगामा किया और कहा- स्पीकर भाजपा का एजेंडा चला रहे हैं। सत्र 27 जून को राष्ट्रपति के अभिभाषण तक स्थगित कर दिया गया।
लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा सभापति दोनों राजस्थान से
बिरला भाजपा के पहले ऐसे सांसद हैं, जो लगातार दूसरी बार स्पीकर बने। वे राजस्थान के कोटा से तीसरी बार जीत कर आए हैं। खास बात यह है कि देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ भी राजस्थान से आते हैं।
इमरजेंसी के दौरान जान गंवाने वालों की याद में मौन
स्पीकर ओम बिरला इमरजेंसी के दौरान जान गंवाने वालों की याद में दो मिनट का मौन रखने को कहा। सत्ता पक्ष के सांसदों ने मौन रखा, लेकिन कांग्रेस और विपक्ष के सांसद हंगामा करते रहे। कांग्रेस सांसदों का आरोप था कि स्पीकर भाजपा का एजेंडा चला रहे हैं। मौन के बाद स्पीकर ने गुरुवार तक के लिए संसद को स्थगित कर दिया।
स्पीकर ने आपातकाल की निंदा की, पक्ष-विपक्ष ने नारेबाजी की
ओम बिरला ने कहा- यह सदन 1975 में आपातकाल लगाने की निंदा करता है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाकर अंबेडकर के संविधान का अपमान किया था। इंदिरा गांधी ने भारत पर तानाशाही थोपकर लोकतंत्र का अपमान किया गया। अभिव्यक्ति की आजादी छीनी गई। मीडिया पर अनेक पाबंदियां लगा दी गई थी। कई नेताओं को मीसा के तहत बंद किया।
जैसे ही स्पीकर ने निंदा प्रस्ताव रखा, पक्ष और विपक्ष से नारेबाजी शुरू हो गई।
पीएम ने शिक्षा मंत्री का नाम लिया तो विपक्ष ने नारे लगाए
मंत्रिमंडल के परिचय के दौरान जैसे ही पीएम मोदी ने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का नाम लिया, विपक्ष के सांसदों ने शेम-शेम के नारे लगाए। इससे पहले सोमवार को जब प्रधान सांसद पद की शपथ लेने गए थे, तब भी विपक्ष के सांसदों ने NEET-NEET, शेम-शेम के नारे लगाए थे।