New Delhi/Atulya Loktantra: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी जन नायक जनता पार्टी ने उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के लिए विधानसभा में कार्यालय की मांग की है। हालांकि, इस मांग को पूरा करने से विधानसभा सचिवालय ने साफ इनकार कर दिया है। एक ओर जहां जगह की कमी की की बात कही गई है, वहीं उपमुख्यमंत्री या किसी अन्य मंत्री के लिए विधानसभा में कार्यालय का कोई प्रावधान नहीं होने का भी हवाला दिया गया है।
4 से 6 नवंबर तक विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित होना है। जन नायक जनता पार्टी की ओर से विधानसभा सचिवालय को पत्र लिखकर कहा गया था कि सत्र के लिए डिप्टी सीएम के कार्यालय का इंतजाम किया जाए। यह अलग बात है कि दुष्यंत चौटाला से पहले हरियाणा में पांच डिप्टी सीएम रह चुके हैं, लेकिन किसी भी डिप्टी सीएम के लिए विधानसभा सचिवालय में कार्यालय या कमरे का प्रावधान आज तक नहीं हुआ है। इसी बीच विधानसभा सचिवालय ने पार्टी की इस मांग को पूरा करने से इनकार कर दिया।
सूत्रों के मुताबिक जन नायक जनता पार्टी की ओर से मिले परिपत्र की पुष्टि करते हुए विधानसभा सचिवालय ने जजपा को कह दिया है कि हरियाणा विधानसभा के पास जगह की काफी कमी है। विधानसभा के 60 फीसदी हिस्से में पंजाब विधानसभा चलती है और 40 फीसद हिस्से में हरियाणा विधानसभा का संचालन होता है। कमरों की कमी की वजह से ही हरियाणा विधानसभा पेपरलैस नहीं हो पाई है, क्योंकि इसके लिए पूरे तकनीकी सिस्टम की जरूरत होती है। विधानसभा सचिवालय ने अपनी दलील में कहा कि मुख्यमंत्री, स्पीकर, डिप्टी स्पीकर और संसदीय कार्य मंत्री के लिए ही ऑफिस का प्रावधान है, इसलिए डिप्टी सीएम के लिए अलग से कार्यालय की व्यवस्था करने में विधानसभा सचिवालय असमर्थ है।
दूसरी तरफ, हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता के लिए दफ्तर का प्रावधान किया गया है।
पिछली सरकार में अभय सिंह चौटाला जब विपक्ष के नेता थे, तब उनके लिए कार्यालय की व्यवस्था की गई थी। इस बार पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विपक्ष के नेता बनने के पूरे आसार हैं। लिहाजा यह दफ्तर अब हुड्डा के काम आएगा। विपक्ष के नेता को पूरा स्टाफ, चपरासी और सहयोगी मिलते हैं। उनके लिए अलग से स्टाफ सहित कोठी व गाड़ी का भी प्रावधान है।
इसके अलावा पंजाब विधानसभा ने 6 नवंबर को हरियाणा के विधायकों को संयुक्त अधिवेशन के लिए आमंत्रित किया है। पंजाब कैबिनेट की बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया जा चुका है, लेकिन इस बारे में अभी तक हरियाणा विधानसभा सचिवालय को कोई अधिकृत सूचना प्राप्त नहीं हुई है। विधानसभा सचिवालय के अनुसार यदि पंजाब सरकार की ओर से ऐसा कोई प्रस्ताव आता है तो 4 नवंबर को शुरू हो रहे विशेष सत्र के दौरान हरियाणा के विधायकों को इसकी जानकारी दे दी जाएगी। तब विधानसभा पर निर्भर करेगा कि वह क्या फैसला लेती है