New Delhi/Atulya Loktantra : अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर देश की सर्वोच्च अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है. इस फैसले के तहत विवादित जमीन रामलला को दी गई है, दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन दी गई है. इस बीच अब अयोध्या में मुस्लिम नेताओं और संगठनों ने मांग की है कि उन्हें मस्जिद के लिए जमीन सरकार द्वारा अधिगृहित 67 एकड़ जमीन में ही दे दी जाए.
क्या है मुस्लिम नेताओं की मांग?
इस मामले में बाबरी मस्जिद के एक पक्षकार बादशाह खान का कहना है कि सरकार के पास जो 67 एकड़ परिसर है, उसमें से ही उन्हें मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन दे दी जाए. उनके अलावा बाबरी मस्जिद मामले के मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी जमीन के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है.
क्या कहता है हिंदू पक्ष?
हिंदू पक्षकारों की ओर से रामविलास वेदांती ने कहा है कि सरकार के द्वारा जो अधिगृहित भूमि है, उसमें वह किसी तरह का निर्माण नहीं होने देंगे. बाकी सब केंद्र सरकार को तय करना है. वहीं अयोध्या के साधु संत एक सुर से कह रहे हैं कि उनका मिशन मंदिर पूरा हो चुका है, ट्रस्ट में कौन होगा कौन नहीं इससे उन्हें ज्यादा मतलब नहीं है. साधु संतों का कहना है कि जल्द से जल्द अब मंदिर बने, ट्रस्ट में किसे रखना है ये सरकार का काम है.
विश्व हिंदू परिषद ने साफ तौर पर मांग की है कि नए ट्रस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद हों और गृह मंत्री अमित शाह भी रहें. ताकि जिस तरह सोमनाथ मंदिर का पुनरुद्धार हुआ, वैसे ही राम मंदिर के साथ हो.
अयोध्या में मस्जिद के लिए ज़मीन खोजना शुरू
अयोध्या प्रशासन ने मस्जिद के लिए जमीन की खोज तेज कर दी है. कई जगहों पर मस्जिद के लिए जमीन देखी जा रही है, हालांकि अभी आखिरी तौर पर तय नहीं हुआ है कि सरकार अयोध्या शहर में या फिर 14 किलोमीटर की परिधि के बाहर जमीन देगी. अयोध्या के 14 किलोमीटर की सांस्कृतिक सीमा के बाहर से लेकर शहर के भीतर तक जमीन देखी जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, अयोध्या शहर के भीतर 5 एकड़ जमीन मिलना मुश्किल लग रहा है लेकिन अयोध्या प्रशासन बहुत तेजी से जमीन खोजने में जुटा हुआ है.