हालांकि C.1.2 सबसे पहले साउथ अफ्रीका में मिला लेकिन तबसे यह इंग्लैंड, चीन, कांगो, मॉरीशस, न्यूज़ीलैंड, पुर्तगाल और स्विट्जरलैंड में मिल चुका है। ये पता चला है कि सी1.2 की म्यूटेशन दर सर्वाधिक 42 फीसदी है। इस वेरियंट की खतरनाक खासियत यह है कि यह बेहद संक्रामक है। यह वैक्सीनों को भी चकमा दे देता है। इस तरह की विशेषता डेल्टा वेरियंट में भी पाई जा चुकी है।
कोरोना के डेल्टा वेरिएन्ट में भी कई बदलाव भी देखे गए हैं। कई राज्यों ने डेल्टा परिवार से ही जुड़ा AY.12 स्ट्रेन के नए मामलों को दर्ज किया है। विशेषज्ञों का दावा है कि AY.12 स्ट्रेन इजराइल में हालिया कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के पीछे हो सकता है। इजराइल में 60 फीसदी आबादी का पूरी तरह टीकाकरण के बावजूद डेल्टा वेरिएन्ट के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
डेल्टा वेरिएन्ट के अंतर्गत अब 13 स्ट्रेन हो गए हैं।जिन मामलों के पीछे पहले डेल्टा वेरिएंट को माना जा रहा था, अब उनको एवाई12 स्ट्रेन के तौर पर दोबारा वर्गीकृत किया जा रहा है।
डेल्टा प्लस वैरियंट के 3 प्रकार
इस बीच महाराष्ट्र में कोरोना वायरस संक्रमण के डेल्टा प्लस के 3 प्रकार के रूपों का पता चला है। एक्सपर्ट्स के अनुसार इस वेरिएंट के संक्रमण का प्रभाव समझने के लिए अभी और अधिक महामारी के विश्लेषण की जरूरत पड़ेगी। हाल ही में हुई जीनोम सिक्वेंसिंग की रिपोर्ट से प्रदेश में डेल्टा प्लस के 66 केसों की मौजूदगी के बारे में पता चला है। इसमें भी डेल्टा प्लस के 3 रूप AY.1, AY.2, AY.3 हैं। बहुत अधिक संक्रमणशील डेल्टा वेरिएंट म्यूटेट होकर डेल्टा प्लस में बदल जाता है। डेल्टा वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में K417N नामक अतिरिक्त म्यूटेशन ग्रहण कर लेने की वजह से डेल्टा प्लस वेरिएंट तैयार होता है। यह प्रभावित सेल्स में वायरस के अटैचमेंट को बढ़ाता है। अब वैज्ञानिकों ने इस डेल्टा प्लस स्ट्रेन के 13 प्रकार का पता लगाया है, जो कि एवाई1 से शुरू होकर 13 तक जाता है।