प्रवर्तन निदेशालय को ओर से पूछताछ के लिए अनिल देशमुख की हिरासत (Anil Deshmukh Ki Hirasat) को बढ़ाने की अर्जी हाई कोर्ट में दी गयी थी, जिसे बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्वीकार करते हुए अनिल देशमुख की हिरासत को 12 नवंबर तक के लिए बढ़ा दिया है।
क्या है पूरा मामला?
मार्च महीने में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सीबीआई को प्रारंभिक जांच दर्ज करने और मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह द्वारा देशमुख के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का आदेश दिया था। जांच के पश्चात परम बीर सिंह ने अनिल देशमुख पर आरोप लगाया कि उन्होंने पहले तत्कालीन सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे को बहाल किया और फिर उन्हें मुंबई में बार मालिकों से ₹100 करोड़ का हफ्ता लेने का निर्देश भी दिया था।
जांच के आधार पर बॉम्बे उच्च न्यायालय के आदेशनुसार अनिल देशमुख ने अपने गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। हाल ही में मामले की जांच के लिए गठित की गयी चांदीमल जांच आयोग के समक्ष परम बीर सिंह ने अपने वकील के माध्यम से एक हलफनामा प्रस्तुत करते हुए बताया था कि पत्र में उनके दावों के अलावा उनके पास देशमुख के खिलाफ कोई अन्य सबूत नहीं है।
तबादला पोस्टिंग में देशमुख की भूमिका की भी जांच की जा रही है तथा इसी मामले के चलते आईपीएस अधिकारी रेशमी शुक्ला का बयान भी दर्ज किया गया है। पिछले दिसंबर में रेशमी शुक्ला ने महाराष्ट्र के तत्कालीन डीजीपी को एक गोपनीय रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें पुलिस अधिकारियों के तबादलों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था तथा इस मामले में अनिल देशमुख की संलिप्तिति का भी अंदेशा है।