बता दें, कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) और एनसीआर (NCR) में बढ़ते प्रदूषण की वजह से वायु गुणवत्ता (एक्यूआई) का स्तर लगातार 500 से ऊपर बना हुआ है। सर्वोच्च न्यायालय ने आज इसी मुद्दे पर दायर एक याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जल्द से जल्द कदम उठाने को कहा है। चीफ जस्टिस ने कहा, कि ‘ऐसी स्थिति में तो लगता है कि घर में भी मास्क पहनकर ही बैठना होगा।’ कोर्ट ने केंद्र सरकार को वायु प्रदूषण से निपटने के तरीके अपनाने को कहा।
कोर्ट में शनिवार को जब प्रदूषण मामले पर सुनवाई शुरू हुई, तो चीफ जस्टिस ने सीधे सरकार से सवाल किए। पूछा, कि आप देख रहे हैं, कि स्थिति कितनी खतरनाक है। हमें घरों पर भी मास्क लगाकर बैठना पड़ेगा। इससे निपटने के लिए आखिर क्या कदम उठाए जा रहे हैं। इस पर केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने कहा, कि ‘वायु प्रदूषण का मुख्य कारण पराली जलाया जाना है। किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए कुछ नियम होने चाहिए, जिससे राज्य सरकार उन पर कार्रवाई कर सकें।’
सारे प्रदूषण के लिए किसान ही जिम्मेदार हैं?
सॉलिसिटर जनरल की इस मांग पर चीफ जस्टिस ने सवाल उठाए। कहा, ‘आप ऐसे कह रहे हैं कि सारे प्रदूषण के लिए किसान ही जिम्मेदार हैं। आखिर इसे रोकने का तंत्र कहा है?’ कोर्ट ने कहा, ‘हमारा सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। बस, सवाल है कि इस समस्या से निपटा कैसे जाए?
आखिर इस स्थिति में लोग कैसे जिएंगे?
मुख्य न्यायाधीश रमन्ना ने सुनवाई के दौरान अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, कि प्रदूषण में कुछ हिस्सा पराली जलने का संभव है। लेकिन, बाकी दिल्ली में जो प्रदूषण है वो पटाखों, उद्योगों और धूल-धुएं की वजह से है। कोर्ट ने सरकार से कहा, ‘हमें तत्काल इसे (प्रदूषण) नियंत्रित करने के कदम बताएं। अगर जरूरत पड़े तो दो दिन का लॉकडाउन या कुछ और कदम लीजिए। आखिर इस स्थिति में लोग कैसे जिएंगे?’