जहरीली हवा से दिल्ली में लोगों की सांसें फिर उखड़ने लगी हैं। आज AQI 431 दर्ज किया गया। AQI हवा की क्वालिटी मापने का पैमाना है, जिसे बेहद गंभीर कैटेगरी माना जाता है। बढ़ते पॉल्यूशन के चलते दिल्ली सरकार ने 5वीं तक के सभी स्कूल बंद कर दिए हैं। सरकारी और निजी दफ्तरों में 50% कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम के लिए कहा गया है।
इसके दिल्ली में कमर्शियल निर्माण कार्य रोक दिए गए हैं। डीजल कारों और ट्रकों पर पाबंदी लगा दी गई है। बाजार और दफ्तरों के समय में भी बदलाव की तैयारी है। हालांकि, EV और CNG वाहन चलते रहेंगे। दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल और पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इन अहम फैसलों की घोषणा की। इसके अलावा प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 10 नवंबर को सुनवाई होगी।।
हवा जहरीली होते ही सियासी वार-पलटवार
दिल्ली के LG विनय सक्सेना ने पंजाब के CM भगवंत मान को चिट्ठी लिखकर कहा- पंजाब में इस साल 24 अक्टूबर से 21 नवंबर के बीच 19% ज्यादा पराली जलाई गई। रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। CM भगवंत मान ने जवाब में कहा कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार के कामों को रोक रहे हैं। मुझे चिट्ठी लिखकर राजनीति कर रहे हैं। इस विषय पर राजनीति ठीक नहीं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा- 3 हजार करोड़ खर्च करके राज्यों को 2 लाख मशीनें दीं, फिर भी ऐसे हालात चिंताजनक हैं।
दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी के अनुसार, 2021 में 1-15 नवंबर तक पराली जलाने की घटनाएं पीक पर रहीं। दिल्ली के PM 2.5 में पराली की हिस्सेदारी 4 नवंबर 2022 को 38% बढ़ गई। दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की रैंकिंग में दिल्ली पहले नंबर पर रही। वहीं, लाहौर दूसरे और कोलकाता तीसरे पर रहा।
ऑड-ईवन फॉर्मूले से घट सकता है प्रदूषण
एक स्टडी के मुताबिक स्कूल बंद करने और ऑड-ईवन फॉर्मूले लागू करने से 15% तक प्रदूषण घट सकता है, लेकिन इतना काफी नहीं होगा। पर्यावरणविदों का कहना है कि लंबी अवधि के लिए प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए लंदन, बीजिंग और मैक्सिको सिटी जैसे शहरों से सबक लिया जा सकता है। UN ने मैक्सिको को पृथ्वी का सबसे दूषित शहर घोषित कर दिया था। साल 1989 में यह कारों पर पाबंदी लगाने वाला पहला देश बना और नंबर प्लेट के आधार पर कारों की मंजूरी से सड़कों पर 20% वाहन घटाए।
प्रदूषित हवा से गर्भपात का खतरा: डॉ. गुलेरिया
दिल्ली एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि प्रदूषित हवा से सिर्फ सांस संबंधी बीमारियां ही नहीं बल्कि हार्ट और ब्रेन स्ट्रोक के साथ ही गर्भपात का भी खतरा बढ़ गया है। द लैंसेट की स्टडी बताती है कि वायु प्रदूषण बेहद खराब श्रेणी में होने से गर्भवती के सांस लेने का असर भ्रूण पर होता है। इससे भ्रूण का विकास कम हाेता है, साथ ही गर्भपात का खतरा भी बढ़ता है।