हमारी युवा बहिन पद्मावती के आमरण अनशन का आज दिनांक 6 जनवरी 2020 को 23वां दिन पूरा हो गया है। ये 23 वर्षीय युवा बहिन नालंदा( बिहार ) में जन्मी, मातृ सदन हरिद्वसर में गंगा तपस्या कर रही है। स्वामी सानन्द ( प्रो. जी डी अग्रवाल) के आमरण अनशन और बलिदान से प्रेरित होकर इसने स्वयं और अपनी माँ गंगा की सेहत ठीक रखने वाला पर्यावरणीय प्रवाह दिलाना, गंगा पर खनन और बांधों के निर्माण को रुकवाना, गंगा सदैव अपने सनातन रूप में बनी रहे, इसकी सेहत को ख़राब करने वाला कोई काम ना होवे। मां गंगा शुद्ध सदानीरा बहती रहे, मां गंगा को गंगत्व वापस मिले।
माँ गंगा के लिए इस बेटी का बहुत बड़ा त्याग है। ऐसा त्याग दुनिया में इस उम्र के लोग इतना बड़ा अहिंसक त्याग करते नहीं है। यूरोप स्वीडन- स्टोक की किशोरी ग्रेटा ने केवल जलवायु परिवर्तन के संकट पर बोलना शुरू किया है। उसे पूरी दुनिया में प्रसिद्धि दे दी गयी। हमारी युवा बहिन की बात उत्तराखंड राज्य, भारत सरकार और संयुक्त राष्ट्र की सरकार संवेदनहीन बन कर अनसुनी कर रही है।
हमारा और हमारे देश के समाज- सरकार का दायित्व बनता है कि हम युवाओं की साधना सिद्धि में मदद करें उनकी त्याग तपस्या को सिद्धि दे। इनकी साधन और त्याग तपस्या की सिद्धि ही भारत को दुनिया का गुरु बनाने का रास्ता है। हम ही अपने भगवान को समझकर नीर- नारी और नदी का सम्मान करके दुनिया के नारायण बने थे और आज भी बन सकते हैं। बस पंचभूतों का सम्मान शुरू करें इनके बचाने वाले को भी बचाएं।
पद्मावती गंगाजल की विशिष्टता को बचाने वाली अविरलता की मांग कर रही है। अविरलता के बिना गंगा की निर्मलता संभव नहीं है। इसलिए निर्मलता के नाम पर बंदरबांट करना उचित नहीं है। गंगा की अविरलता प्रदान करने हेतु बांध निर्माण और खनन बंद करें। पद्मावती के समर्थन में देशभर के 17 राज्यों के 150 लोगों ने 6 जनवरी को हरिद्वार में घोषणा की है। हम भारतवासी गंगा पर्यावरण सम्मेलन हरिद्वार में 17 राज्यों के संपूर्ण गंगा बेसिन के 11 राज्यों के प्रतिनिधियों ने साध्वी पद्मावती के गंगा सत्याग्रह को सर्वसम्मति से समर्थन दिया। सम्मेलन में सर्वसम्मति से पारित हुआ कि हम अपने राज्य की नदियों के किनारे बैठकर, गंगा सत्याग्रह के समर्थन में अपने- अपने इलाके में गंगा सत्याग्रह हेतु जन समर्थन जुटाएंगे।
सम्मेलन है सर्व समिति से तय किया कि भारत की न्यायपालिका गंगा से संबंधित सरकारी तथा भारत के सभी राजनीतिक दल संयुक्त राष्ट्र संघ को गंगा के विषय में भारत के प्रधानमंत्री को सूचित करते हुए इस संदेश को संयुक्त राष्ट्र संघ में 86 वर्षीय पर्यावरण विज्ञानी वे कार्यकर्ता की पवित्र नदी की सफाई में सरकार की ढिलाई में निष्क्रियता के मद्देनजर 111 दिन अनशन उपरांत देह त्याग का संज्ञान लेते हुए मोदी सरकार को गंगा नदी सफाई हेतु प्रभावी कदम उठाने को निर्देशित किया है।
यूएन पर्यावरण नेपाल भारत और बांग्लादेश में बहने वाली व हिंदू द्वारा देवी स्वरूप पूजे जाने वाली गंगा नदी को अति पवित्र में अत्यधिक प्रदूषित माना है। यूएन पर्यावरण का मानना है कि स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद जी ने अवैध खनन में घातक बांधों से पर्यावरण दृष्टि से 1600 किलोमीटर मृतप्राय हुए गंगा नदी के रक्षार्थ अपना जीवन समर्पित कर दिया। हालांकि सरकार ने नमामि गंगे में बजट आवंटित किया है और मोदी जी को स्वयं प्लास्टिक प्रदूषण बचाव के प्रयासों के कारण अवार्ड से सम्मानित भी किया है। लेकिन गंगा सफाई के प्रयास संतोषजनक नहीं है यूएन गंगा नदी के प्रदूषण के संदर्भ में स्वामी निगमानंद जी और स्वामी सानंद जी के बाद किसी अन्य प्राणी रक्षक को जान गवाते हुए नहीं देखना चाहता है। यह मंतत्व स्वयं प्रधानमंत्री जी को सूचित हुआ है।
अमेरिका की कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी बर्कले जहां से स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद जी ने पीएचडी के शिक्षा प्राप्त की थी। प्रोफेसर जीडी अग्रवाल जी के देहावसान पर शोक व्यक्त करते हुए, उनके त्याग को प्रेरणादायी माना तथा पर्यावरणीय मुद्दे विशेष तौर पर जीवन पर्यंत पवित्र गंगा नदी को पुनर्जीवन हेतु उनके प्रयासों और त्याग से भारतवर्ष में प्रदूषण के विरुद्ध जंग में उनके प्रभावशाली हस्तक्षेप पर उनकी शैक्षिक साथ में परिवार को गर्व की अनुभूति है।
गंगा के विशिष्ट गुणों के ज्ञान का पूरी दुनिया को बताने हेतु गंगाजल का न्याय नैतिकता और शांति हेतु एबीएल गंगाजल यात्रा आज से ही पूरी दुनिया में चलाई जाएगी।
गंगा सम्मेलन में आज उपस्थित गंगा सेवक यहां से इस संकल्प के साथ जा रहे हैं कि साध्वी पद्मावती का गंगा सत्याग्रह सिद्धि प्राप्त करें और पद्मावती सतायु हो।हम सब की शक्ति गंगा सत्याग्रह में पद्मावती की आदत शक्ति के साथ जुड़े हैं और मांग करते हैं कि भारत सरकार भारत की न्यायपालिका और राजनीतिक दल इस कार्य को जल्द से जल्द पूरा करें।
भारत सरकार स्वयं के द्वारा लिखित में दिए हुए कामों को जल्दी क्रियान्वित करें सरकारी अपना काम मानकर इसे जल्दी संपादित करेगी तो पद्मावती को अपने प्राणों का बलिदान नहीं करना पड़ेगा। गंगा जी भी बांध निर्माण और रुकने से स्वस्थ होंगी। इसे स्वास्थ्य हेतु गंगा संरक्षण कानून बने। इसके प्रगति देखने हेतु गंगा भक्त परिषद बने बसे भारत सरकार करें तो दुनिया में संपूर्ण सम्मान मिलेगा।
(लेखक रेमैन मैग्ससे अवार्डी है और जलपुरुष कहलाते है)